हसदेव जंगल बचाने की उठी मांग

वाराणसी। छत्तीसगढ़ में काटे जा रहे हसदेव जंगल के विरोध में सामाजिक संगठन मुखर है। कार्यकर्ताओं ने  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पोस्टकार्ड पर अपनी मांगों को लिख कर भेजाहै।

इस दौरान सभा में क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर ने कहा कि जब हमारे देश में बिजली उत्पादन के लिए सौर ऊर्जा एक विश्वसनीय एवं टिकाऊ ऊर्जा मौजूद ह। तो ऐसे में सरकार सबसे प्रदूषित ऊर्जा के श्रोत कोयले से बिजली बनाये जाने के लिए क्यों इतने विशाल और समृद्ध जंगल को काटे जाने पर अडिग है। हसदेव जंगल न केवल मध्य भारत बल्कि पूरे देश के लिए फेफड़े के समान है।

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जल जगंल ज़मीन केवल इस धरती पर रहने वाले मनुष्यों की लालसा पूरा करने के लिए नहीं बल्कि वन्य जीव जंतु भी बराबर के हकदार हैं।

ऐसे में सभी के घरों को फ़र्ज़ी तरीके से उजड़ना एक अमानवीय फ़ैसला है। हम सभी जानते हैं प्रदूषण हमारे देश में एक बड़ी चुनौती है और हर साल हज़ारों.लाखों लोगो की जाने केवल वायु प्रदूषण के कारण हो जाती है ऐसे में प्रदूषण के स्त्रोत को बढ़ाने के लिए कोयले का खनन बेहद ख़तरनाक है।

एकता ने कहा कि पर्यावरण दिवस पर केवल पेड़ लगाने की खानापूर्ति से पर्यावरण की रक्षा संभव नहीं है। हमें हसदेव जंगल समेत देश समस्त हरित क्षेत्रों को बचाने का प्रण लेना चाहिए। इस समय सभी की ज़िम्मेदारी है वो हसदेव जंगल की कटाई का विरोध दर्ज करें और प्रधानमंत्री के समक्ष इसको काटे जाने से रोकने की मांग रखें।

अन्य वक्ताओं ने कहा कि हसदेव जंगल को बिजली परियोजना के लिए उजाड़ा जा रहा है। सरगुजा, कोरबा और सूरजपुर जिले के बीच स्थित हसदेव एक समृद्ध जंगल है। एक लाख 70 हजार हेक्टेयर में फैला यह जंगल अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाता है। भारत का एक बड़ा कोयला भंडार इस क्षेत्र में दबा हुआ है और पूंजीपतियों की नजर लम्बे समय से इस अनमोल खजाने पर लगी हुई है।

हसदेव अरण्य, मध्य भारत के आखिरी समृद्ध जंगलों में से एक है। मूल निवासी कहे जाने वाले गोंड आदिवासियों की बड़ी संख्या यहाँ रहती है।

जंगल के बीच से हसदेव नाम की नदी भी बहती है। सदियों जंगली से हाथियों का कॉरिडोर है यह क्षेत्र। पिछले साल केंद्र सरकार व् इस साल अप्रैल में छत्तीसगढ़ सरकार ने सूरजपुर, सरगुजा और कोरबा के तीन जिलों में फैले हसदेव के घने जंगल को परसा कोयला खदान के तहत काटे जाने की अनुमति दे दी है। इतने विशाल जंगल को उजाड़ने का ठेका अडानी समूह को सौंप दिया गया है।

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