देहरादून। विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा के प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र हवालबाग में रबी किसान मेले का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर बोलते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय कुलपति डा. मनमोहन सिंह चैहान, गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्राद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर ने संस्थान द्वारा पर्वतीय कृषि पर किये जा रहे शोध कार्याें की सराहना करते हुए इस संस्थान के निदेशक डा. लक्ष्मी कांत एवं वैज्ञानिकों को बधाई दी।
उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों से हो रहे पलायन पर चिन्ता व्यक्त की तथा अच्छे बीजों को अपनाये जाने तथा कदन्न फसलों के उत्पादन पर जोर दिया। इसके अलावा उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों के कृषकों से खेती के साथ-साथ पशुपालन अपनाये जाने पर बल दिया।
उन्होंने कृषकों को अधिक आय हेतु वैज्ञानिक तकनीकों को अंगींकृत कर स्थानीय संसाधनों को उपयोग करने हेतु आह्नवान किया। मूल्य संवर्धन पर बल देते हुए उन्होंने युवाओं से मशरूम, शहद, दूध उत्पादन से रोजगार सुनिश्चित करने हेतु कहा।
डा. एन.एस. भण्डारी, कुलपति, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा ने संस्थान की उपलब्धियों की सराहना करते हुए नयी शिक्षा नीति में कृषि पर जोर तथा शोध में नवाचार हेतु बल दिया। डा. धीर सिंह, निदेशक, एन.डी.आर.आई., करनाल ने कृषकों से वैज्ञानिक पद्वति को अपनाकर अपनी आय दोगुनी से तीन गुनी करने का आव्हान किया।
प्रो. सुनील नौटियाल, निदेशक, गो.ब.पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावारण संस्थान, कोसी कटारमल, अल्मोड़ा ने कृषि के सतत विकास हेतु संसाधन संरक्षण एवं स्थानीय आर्थिकी बढ़ाने पर बल दिया। संस्थान के पूर्व निदेशक डा. जे.सी. भट्ट ने कृषि के समुचित विकास हेतु संस्थान द्वारा विकसित तकनिकियों को सूदूर गाॅंव तक पहुॅचाने का आव्हान किया।
डा. ए.के. शर्मा, निदेशक (प्रसार), पंतनगर ने पर्वतीय क्षेत्रों में जैविक खेती, परम्परागत कृषि ज्ञान, फसल विविधीकरण को अपनाने तथा स्थानीय बीजों को संरक्षित करने पर बल दिया। श्री रमेश चन्द्रा, केन्द्र निदेशक, आकाशवाणी, अल्मोड़ा ने संस्थान के कृषि समृद्वि कार्यक्रम की उपयोगिता का जिक्र करते हुए कृषकों की प्रतिक्रियाओं से अवगत कराया।
किसान मेले के अवसर पर संस्थान के निदेशक डा. लक्ष्मी कांत ने समस्त आगन्तुकों का स्वागत करते हुए पर्वतीय कृ़िष के क्षेत्रों में संस्थान द्वारा चलायी जा रही विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला और बताया कि संस्थान द्वारा अभी तक विभिन्न पर्वतीय फसलों की 181 प्रजातियाॅं अधिसूचित की जा चुकी है।
उन्होंने संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न तकनीकियों के माॅडल को तीन अंगीकृत गाॅंवों में अपनाने की बात बताते हुए कहा कि इन माॅडलों से कृषक लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने इन माॅडलों को अधिक से अधिक कृषकों को अपनाने की अपील की।
इस अवसर पर, सस्थान द्वारा वर्ष के दौरान विमोचित की गयी 2 किस्मों क्रमशः वीएल गेहूं 2028 एवं वी.एल. गेहूं 3010 का लोकार्पण किया गया। साथ ही मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा संस्थान के प्रकाशनों नामतः, उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों हेतु जेठी धान की वैज्ञानिक खेती एवं उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों हेतु चैती धान की वैज्ञानिक खेती का विमोचन किया गया।
प्रगतिशील किसानों प्रताप राम, मनोहर लाल, सुरेश चन्द्र, सुन्दर लाल, मनोज सिंह कोरंगा तथा मदन मोहन टम्टा को इस अवसर पर सम्मानित किया गया तथा एससीएसपी. परियोजना के अन्तर्गत कृषकों को वी.एल. सोलर ड्रायर एवं लघु कृषि यंत्रों का भी वितरण किया गया।
संस्थान के प्रक्षेत्र में आयोजित प्रदर्शनी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनेक संस्थानों, कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थानों द्वारा प्रतिभागिता की गयी एवं 27 प्रदर्शनियाॅं लगायी गयी।
मेले में उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों से लगभग 700 कृषकों ने प्रतिभागिता की एवं विभिन्न फसलों एवं प्रदर्शनियों का भ्रमण किया।
मेले में आयोजित कृषक गोष्ठी में पर्वतीय कृषि से संबंधित विभिन्न पहलुओँ पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गयी साथ ही कृषकों की विभिन्न समस्याओं का कृषि वैज्ञानिकों द्वारा त्वरित समाधान भी किया गया। किसान मेले में कृषक गोष्ठी का संचालन डा. बीएम पाण्डे, कार्यक्रम का संचालन डा. कुशाग्रा जोशी एवं धन्यवाद प्रस्ताव डा. जेके बिष्ट, विभागाध्यक्ष ने किया।