क्या विस के हटाए गए कार्मिकों से होगी वसूली
विधानसभा की 250 बैकडोर नियुक्तियां रद्द होने के बाद भी कई सवालों के जवाब आने बाकी
देहरादूून। विधानसभा की 2016 के बाद की सभी नियुक्तियां रद्द कर दी गई है। सवाल यह भी है कि क्या बैकडोर से एंट्री पाने वाले इन 250 लोगों से क्या वेतन के रूप में प्राप्त किए गए लाखों रुपये की धनराशि की वसूली की जाएगी ।
वैसे नियुक्तियां रद्द होने से लगातार भर्ती घोटालों पर घिर रही भाजपा और प्रदेश सरकार ने भी कुछ राहत की सांस ली होगी मगर अभी बहुत से सवाल भी बाकी है, जिनके जवाब आने शेष हैं। सवाल यह भी है कि अगर नौकरी से हटाए गए लोग हाईकोर्ट का रुख करते हैं तो क्या नियुक्तियां रद्द करने का फैसला टिक पाएगा। ऐसे में क्या सरकार को जल्द से जल्द हाई कोर्ट में कैविएट दाखिल नहीं करनी चाहिए।
सूत्रों की माने को बैकडोर से नियुक्त कर्मचारियों ने जांच समिति गठित होने के साथ ही हाईकोर्ट जाने की तैयारी शुरू कर दी थी। क्या विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल से भी वसूली की जाएगी। उनको निलंबित तो कर दिया गया है लेकिन सवाल है कि क्या नियम विरुद्ध प्रमोशन पाने वाले विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को डिमोशन कर शोध अधिकारी बनाया जाएगा।
बता दें की विस के निलंबित सचिव मुकेश सिंघल पहले डिप्टी सेक्रेटरी (शोध) थे। इन्हें सचिव बनाने के लिए पहले ज्वाइंट सेक्रेटरी और तुरंत एडिशनल सेक्रेटरी पद पर प्रमोट किया गया फिर प्रभारी सचिव बनाया गया। स्पीकर का कार्यकाल समाप्त होने से ऐन पहले स्थायी सचिव बना दिया गया। अहम बात यह भी कि सभी प्रमोशन एक साल के अंदर दे दिए गए।
सचिव की नियुक्ति के लिए कोई आवेदन नहीं मांगा गया और न न्याय विभाग से प्रतिनियुक्ति पर तैनाती का कोई प्रयास किया गया। दिलचस्प बात यह है कि मुकेश सिंघल ने विधानसभा के वित्त नियंत्रक का कार्यभार भी अपने पास रखा हुआ है और उन्होंने खुद ही आदेश कर प्रमोशन के सापेक्ष अपना वेतन भी बढ़ा दिया था।