नए ‘कलेवर और फ्लेवर’ में भाजपा

 पार्टी की रणनीति से बसपा और सपा की मुश्किलें बढ़ीं
तमाम नेताओं और मंत्रियों की मॉनिटरिंग आलाकमान द्वारा की जा रही  
अजय कुमार, लखनऊ।      
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी नए ‘कलेवर और फ्लेवर’ के साथ 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी है। विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी में काफी कुछ बदल गया है। पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। संगठन मंत्री भी बदल गए है। जातीय समीकरण भी काफी दुरुस्त कर लिए गए हैं तो योगी सरकार टू का चेहरा भी काफी बदला बदला है। कई पुराने मंत्री हाशिये पर चले गए हैं जिनकी जगह नए नेताओं ने ले ली है।

इन नए नवेले चेहरों के साथ योगी भी अपनी दूसरी पारी में काफी आक्रामक अंदाज से लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हैं। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि योगी सरकार और बीजेपी एवं संघ पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गए हैं। जबकि अन्य दलों कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बसपा में चुनाव को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं दिखाई दे रही है।
राजनीति के जानकार कहते हैं कि निश्चित ही इस तेजी का फायदा 2024 के चुनाव में बीजेपी को मिलेगा। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता, पदाधिकारी और नेता लगातार जनता के बीच जा रहे हैं। उनकी समस्याओं को सुनने हैं और सरकार से उसका समाधान कराने की कोशिश करते हैं।

देश में 18वीं लोकसभा के सदस्यों के लिए चुनाव में अभी करीब डेढ़ साल का समय बचा है लेकिन यूपी में बीजेपी ने अभी से जिस स्तर की तैयारी शुरू कर दी है उससे वो सपा और बसपा से कोसों आगे दिखने लगी है। यहां एक तरफ सीएम योगी आदित्यनाथ के धुआंधार दौरों का दौर चल रहा है तो दूसरी ओर पार्टी की कमान सम्भालते ही नए प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चैधरी और प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने भी सभी क्षेत्रवार बैठकों का सिलसिला चलाकर सांगठनिक दृष्टिकोण से प्रदेश को कोने-कोने को मथ दिया है।

बीजेपी में लगातार बैठकों और संवादों का दौर जारी है। संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे सभी नेताओं और सरकार के मंत्रियों को लगातार यह बताया जा रहा है कि उन्हें जनता से कैसे संवाद करना है। इसके साथ इन नेताओं और मंत्रियों की मॉनिटरिंग भी आलाकमान द्वारा की जा रही है।
इस साल हुए यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 403 में 255 सीटें जीतकर नया रिकॉर्ड बनाया। तभी से पार्टी के रणनीतिकार 2024 में यूपी की सभी लोकसभा सीटें जीतने के भी दावे करने लगे। बीजेपी के बारे में कहा जाता है कि वहां चुनावी तैयारी कभी भी थमती नहीं है लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में यूपी से 80 सीटें जीतने का जो लक्ष्य निर्धारित किया उसके बाद उसकी तैयारी की रफ्तार देखते ही बनती है।

बीजेपी आलाकमान चाहता है उत्तर प्रदेश में फिर से एक बार 2014 जैसा या उससे अच्छा जनादेश आए। दरअसल, बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी को 80 में से 62 सीटें मिली थीं। उसकी सहयोगी अपना दल को 2 सीटों पर जीत मिली जबकि बीएसपी को 10 और सपा को 5 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस के खाते में एक सीट आई थी जबकि आरएलडी के खाते में एक भी सीट नहीं आई।
इस बार बीजेपी का दावा और तैयारी एनडीए को सभी 80 सीटों पर जीत दिलाने की है। पिछली बार की हारी सीटों पर बीजेपी को नंबर दो से नंबर एक बनना है।

निकाय चुनाव के बहाने पार्टी इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर यूपी का मंथन कर रही हैै। इसके लिए बकायदा अभी से 2024 तक के कार्यक्रम निर्धारित किए जा रहे हैं। बीजेपी के आत्मविश्वास की एक वजह यह भी है कि 1985 के बाद पहली बार यूपी में कोई सरकार अपना 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा पूर्ण बहुमत से सत्ता में लौटी है। यूपी में बीजेपी 2014 के बाद से लगातार हर चुनाव शानदार तरीके से जीत रही है।

उधर, राज्य की प्रमुख मुख्य विपक्षी पार्टियां समाजवादी पार्टी और बसपा अपने ही अंतद्वंद्वों से बाहर नहीं निकल पा रही हैं। समाजवादी पार्टी की बात करें तो अखिलेश यादव ने पार्टी सदस्यता अभियान और तिरंगा यात्रा जैसे कार्यक्रमों से संगठन में जान फूंकने की कोशिश की लेकिन आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में मिली हार, ओमप्रकाश राजभर और केशव देव मौर्य जैसे नेताओं के गठबंधन से बाहर जाने और चाचा शिवपाल सिंह यादव की तल्ख बयानबाजियों से जूझते ज्यादा नजर आ रहे हैं।
विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट पर सिमट गईं मायावती भी पार्टी को फिर से खड़ा करने, मुस्लिमों-दलितों के साथ सर्वसमाज का गठजोड़ बनाने जैसे दावे तो कर रही हैं लेकिन उनकी ज्यादातर ऊर्जा अखिलेश यादव पर हमले करने और उनकी प्रतिक्रियाओं का जवाब देने में लगती दिख रही है। इन सबसे अलग बीजेपी मिशन 2024 की तैयारी में अभी से पूरी ताकत के साथ जुट गई है।

एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक लगातार दौरे कर माहौल बनाने में जुटे हैं तो दूसरी यूपी बीजेपी की कमान संभालने वाले प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने अपनी नई जिम्मेदारी संभालने के पहले ही दिन से क्षेत्रवार मंथन का दौर चला रखा है।

बीजेपी निकाय चुनाव को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले सांगठनिक ताकत को एक बार फिर आजमाने और कार्यकर्ताओं में जोश भरने का मौका मानकर चल रही है। भूपेंद्र चैधरी और धर्मपाल सिंह के लिए भी निकाय चुनाव अपने रणनीतिक कौशल को साबित करने का पहला बड़ा अवसर है। लिहाजा दोनों नेता लगातार बैठकें कर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को निकाय और स्नातक चुनाव में शत प्रतिशत जीत का आह्वान कर रहे हैं।
पिछले दिनों बीजेपी की कोर कमेटी की बैठक में ही तय किया गया था कि छह क्षेत्रों में से दो की बैठक प्रदेश अध्यक्ष और चार की संगठन महामंत्री लेंगे। इसकी शुरुआत हो चुकी है, संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह ने पार्टी पदाधिकारियों से कहा कि वे निकाय और शिक्षक चुनाव में शत-प्रतिशत लक्ष्य पाने के लिए अभी से तैयारियों में जुट जाएं। निकाय चुनावों में अपेक्षा के मुताबिक पार्टी टॉप करे इसके लिए निकाय संयोजकों की तैनाती की जा चुकी है। जल्द ही हर जिले में निकाय प्रभारी और निकायों में प्रभारियों की तैनाती भी कर दी जाएगी।

इस महीने के अंत तक ये सभी पदाधिकारी आवंटित निकायों में प्रवास पर जाएंगे। मतदाता सूची के पुनरीक्षण में छूटे नाम जुड़वाने के साथ ही पार्टी में निकायों के लिए प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी।
निकाय चुनाव से पहले भाजपा के पास जनता से सीधे तौर पर जुड़ने का एक और मौका सेवा पखवाड़ा के तौर पर सामने आ रहा है।

भाजपा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर से गांधी जयंती यानी दो अक्टूबर तक सेवा पखवाड़ा मनाएगी। इसके तहत बूथ स्तर तक कार्यक्रम तो होंगे ही, सेवा कार्यों की प्रतिस्पर्धा भी होगी। कहने का तात्पर्य यह है कि बीजेपी इतनी तेजी से दौड़ना चाहती है कि उसके पीछे नंबर दो या तीन की रेस में कोई नजर ही नहीं आए और ऐसा होता दिखाई भी दे रहा है ।अगर जल्द सपा बसपा ने अपनी स्थिति में सुधार नहीं करा तो उसके लिए आने वाला समय अच्छा नहीं होगा।

Leave a Reply