देहरादून। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के खास कृपापात्र रहे विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को निलंबित कर दिया गया है। सिंघल पर वित्तीय अनियमितता के आरोप भी पाये गये हैं। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने सिंघल को पहले ही फोर्स लीव पर भेज दिया था।
सिंघल को प्रेमचंद अग्रवाल ने नियमों के विपरीत जाकर तीन-तीन पदोन्नति में देकर विधानसभा का सचिव बना दिया था। जिसके बाद सिंघल ने विधानसभा की बैकडोर भर्तियां करने में प्रमुख भूमिका निभायी। स्पीकर खंडूड़ी ने आज पत्रकारों को बताया कि विधानसभा सचिवालय द्वारा वर्ष 221 में 3२ विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के लिये आवेदन पत्र मंगाये गये थे।
जिसके लिये इसी साल 2 मार्च को लिखित परीक्षा भी आयोजित की गयी थी, लेकिन अभी तक उसका परिणाम घोषित नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि इस परीक्षा के लिये लखनऊ की एक प्राईवेट एजेंसी मैसर्स आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन प्रा. लि. का चयन किया गया।
इस एजेंसी के कार्यकलाप पहले से ही विवादों में रहे हैं और इस पर पेपर लीक के गंभीर आरोप भी लगे हैं। जिसकी वजह से कम से कम 5 प्रतियोगिता परीक्षा शासन को रद्द करनी पड़ी हैं और अनेक गिरफ्तारियां भी हुई हैं।
विधानसभा सचिवालय ने नियमों प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए इस एजेंसी का भर्ती के लिए चयन किया। इसमें अनेक वित्तीय अनियमितताएं भी पायी गयी। इस एजेंसी को बिल प्राप्त होने के 20 दिन के अन्दर बैंक से 59 लाख रुपये का भुगतान भी जारी कर दिया गया। जिसमें विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल की भूमिका भी संदेहास्पद पायी गयी।
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि इस परिपेक्ष्य में उन्होंने इन 32 पदों पर हुई परीक्षा को निरस्त करने का निर्णय लिया है तथा एजेंसी की भूमिका की जांच कराने के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस पूरे प्रकरण में विधानसभा सचिव की संदिग्ध भूमिका की जांच करने का निर्णय लिया गया और जांच पूरी होने तक मुकेश सिंघल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।