ठोस पैरवी न करने के कारण निरस्त हुआ महिलाओं का आरक्षण: यशपाल
भाजपा सरकार की सरकारी वकीलों की फौज नहीं कर पा रही पैरवी, जरूरत पड़ने पर कांग्रेस लाएगी प्राइवेट मेंबर विधेयक
हल्द्वानी । नेता प्रतिपक्ष एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता यशपाल आर्य ने राज्य आंदोलनकारियों के बाद राज्य की महिलाओं के तीस फीसदी क्षैतिज आरक्षण को उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त करने के फैसले के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के सैकड़ो सरकारी वकीलों की फौज कांग्रेस की सरकारों द्वारा दिए गए इन दो विशिष्ट वर्गों को मिलने वाले आरक्षण की सही पैरवी नहीं कर पायी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अध्यादेश या विधेयक भी लाने में अभी तक असफल रही है। उन्होंने कहा कि आने वाले सत्र में कांग्रेस सरकार को विस के भीतर घेरेगी और जरूरत पड़ने पर प्राइवेट मेंबर विधेयक पेश करेगी।
सोमवार को यहां जारी एक लिखित बयान में यशपाल आर्य ने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद राज्य की महिलाओं को सरकारी सेवाओं में मिल रहा 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण समाप्त हो गया है। इसी तरह कुछ साल पहले राज्य आंदोलनकारियों को नौकरियों में मिलने वाला आरक्षण भी उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद समाप्त हो गया था। उन्होंने कहा कि मजबूत पैरवी और ठोस तथ्य पेश न होने के कारण उच्च न्यायालय ने राज्य की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ देने वाले शासनादेश को ही निरस्त कर दिया है।
उन्होंने कहा कि एनडी तिवारी सरकार ने राज्य की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने का फैसला किया था। सरकार के फैसले को जमीन पर उतारने के लिए 24 जुलाई 2006 को तत्कालीन मुख्य सचिव एनएस नपच्याल की ओर से शासनादेश जारी किया गया था।
इस शासनादेश के बाद राज्याधीन सेवाओं, निगम सार्वजनिक उद्यमों, स्वायत्तशासी संस्थाओं में राज्य की महिलाओं को तीस फीसदी आरक्षण दिया गया था। इससे पहले 18 जुलाई 2001 के शासनादेश तक केवल 20 फीसदी आरक्षण मिल रहा था।
उन्होंने कहा कि इस शासनादेश से अब तक उत्तराखण्ड की हजारों महिलाओं को राज्य की हर सेवा में अवसर मिला, लेकिन भाजपा सरकार न्यायालय में राज्य की महिलाओं के हितों की रक्षा करने में असफल रही। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 16 (4) राज्य सरकार को राज्य के उन पिछड़े वर्गों को राज्य की सेवाओं में आरक्षण देने की शक्ति प्रदान करता है जिसका राज्य में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।
आर्य ने बताया कि सभी जानते हैं कि उत्तराखंड की महिलाओं का राज्य की सभी प्रकार की सेवाओं में लगभग 5 प्रतिशत जनसंख्या के अनुपात में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।
उन्होंने चिंता व्यक्त की कि यदि जल्दी उत्तराखण्ड की महिलाओं को राज्य की सभी सेवाओं में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का कानून नहीं बनाया जाता है तो राज्य की मातृ शक्ति राज्य की हजारों नौकरियों के अवसर से वंचित रह जाएंगी। उन्होंने कहा कि यदि सरकार राज्य की महिलाओं के प्रति अपने विधायी कर्तव्यों का पालन नहीं करती है तो कांग्रेस विधायक दल आगामी विधानसभा सत्र में उत्तराखण्ड की महिलाओं को राज्य की सभी सेवाओं में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ देने वाला प्राइवेट मेंबर बिल लाएगी।
कर्मचारी और युवाओं के साथ न्याय नहीं कर रही सरकार
शहरी विकास में 74 तबादलों को निरस्त करने पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने चुटकी ली है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के मंत्री नियुक्तियों की तरह से ही तबादलों में भी बड़ा खेल कर चुके हैं। ट्रांसफर एक्ट की धज्जियां उड़ा कर अपने चहेतों को लाभ दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सारा खेल सार्वजनिक होने के बाद सीएम को 74 ट्रांसफर रोकने पड़े हैं। उन्होंने कहा यह सरकार न तो रोजगार के लिए लाइन में लगे युवाओं के साथ न्याय कर रही है और नहीं कई सालों से दुर्गम में सेवा दे रहे कर्मचारी और अधिकारियों के साथ न्याय हो यहा है।