केदारनाथ यात्रा में मालू के पत्तों में परोसा जायेगा श्रद्धालुओं को भोजन
रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन की सराहनीय पहल, प्लास्टिक पर लगाया जाएगा पूर्ण प्रतिबंध
रुद्रप्रयाग। कभी पहाड़ों में शादी समारोह के समय मालू के पत्तों पर खाना परोसा जाता था। मालू का पत्ता खाने को और अधिक पौष्टिक बनाने के साथ ही पूरी तरह स्वास्थ्य के लाभदायक माना जाता है, लेकिन आज इन पत्तों की जगह प्लास्टिक प्लेट ने ली है, जिससे पर्यावरण को नुकसान तो हो ही रहा है।
साथ ही मनुष्य को भी काफी नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में जिला प्रशासन रुद्रप्रयाग ने एक नई पहल की शुरूआत की है। इस पहल के तहत केदारनाथ यात्रा में आने वाले तीर्थयात्रियों को प्लास्टिक प्लेट की जगह मालू के पत्तों में खाना परोसा जायेगा।
ऐसे में जहां पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकेगा, वहीं मनुष्य भी पौष्टिक आहार कर सकेगा। केदारनाथ यात्रा के साथ ही इस योजना को पूरे जिले में लागू करने की भी तैयारी की जा रही है।
बता दें कि केदारनाथ यात्रा में लाखों की संख्या में हर वर्ष तीर्थयात्री पहुंचते हैं, जो अपने साथ लाए प्लास्टिक कचरे को यहां-वहां फेंक देते हैं।
बता दें कि केदारनाथ यात्रा में लाखों की संख्या में हर वर्ष तीर्थयात्री पहुंचते हैं, जो अपने साथ लाए प्लास्टिक कचरे को यहां-वहां फेंक देते हैं।
साथ ही इन्हें प्लास्टिक प्लेट में दुकानदार खाना परोसते हैं और उस प्लास्टिक प्लेट को भी यहां-वहां फेंका जाता है। जिससे हिमालयी बुग्यालों को नुकसान पहुंचता है और इसके दुष्परिणाम भी दिखते हैं। ऐसे में जिला प्रशासन ने एक नई पहल की शुरूआत की है।
पहाड़ में कभी शादी-ब्याह के दौरान मालू के पत्तों में खाना परोसा जाता था। धीरे-धीरे मालू के पत्तों की जगह प्लास्टिक प्लेट ने ली और अब सभी लोग प्लास्टिक का ही प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन ये प्लास्टिक पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक है।
इस प्लास्टिक की जगह अब प्रशासन तीर्थयात्रियों को मालू के पत्तों में खाना परोसने की योजना बना रहे हैं। मालू के पत्तों में खाना खाने के बाद जहां तीर्थयात्री खुद को तरोताजा महसूस करेंगे, वहीं पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा। यात्रा पड़ाव सोनप्रयाग से केदारनाथ तक दुकानदारों को मालू के पत्तों को दिया जायेगा, जिससे वे तीर्थयात्रियों को इस पत्ते में खाना दें और पर्यावरण का विशेष ध्यान रखें।
इस प्लास्टिक की जगह अब प्रशासन तीर्थयात्रियों को मालू के पत्तों में खाना परोसने की योजना बना रहे हैं। मालू के पत्तों में खाना खाने के बाद जहां तीर्थयात्री खुद को तरोताजा महसूस करेंगे, वहीं पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा। यात्रा पड़ाव सोनप्रयाग से केदारनाथ तक दुकानदारों को मालू के पत्तों को दिया जायेगा, जिससे वे तीर्थयात्रियों को इस पत्ते में खाना दें और पर्यावरण का विशेष ध्यान रखें।
डीएम मयूर दीक्षित ने बताया कि प्लास्टिक को कम करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास किये जा रहे हैं। खासतौर पर केदारनाथ यात्रा पड़ावों पर प्लास्टिक को पूर्णतया बंद करने की योजना बनाई जा रही है। यात्रा मार्ग पर दुकानदार खाने की प्लेट में प्लास्टिक का प्रयोग कर रहे हैं।
ऐसे में उन्हें मालू के पत्तलों का उपयोग करने को कहा गया है। मालू के पत्तलों के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। महिलाओं की ओर से तैयार किये गये मालू के पत्तलों की प्लेट को यात्रा मार्ग पर संचालित दुकानदारों को दिया जायेगा, जिससे प्लास्टिक पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा जा सके।
इसके अलावा जो तीर्थयात्री पानी की बोटल व चिप्स लेकर केदारनाथ जा रहे हैं, उनके खाने व पीने के सामान पर क्यू आर कोड लगाया जा रहा है, जिससे वे अपना प्लास्टिक की चीजों का उपयोग करने के बाद वापस लाएं और पर्यावरण को सुरक्षित रखें।