हल्द्वानी । नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि धामी टू की सरकार नौकरशाहों के हाथों में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि अल्पज्ञान के कारण राज्य सरकार ने स्वयं को नौकरशाहों के हाथ गिरवी रख दिया है। उत्तराखण्ड में शासन ही अब सरकार है।
मुख्यमंत्री और कैबिनेट की शक्तियां नौकरशाहों के हाथों में निहित हो गई हैं। ऐसे में जनता द्वारा चुनी हुई सरकार का कोई अर्थ नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सेवा के अधिकार आयोग में बिना नेता प्रतिपक्ष के सलाह के ही भूपाल सिंह मनराल की नियुक्ति इस आरोपी को तस्दीक कर रही है।
सोमवार को यहां जारी एक बयान में आर्य ने कहा कि सेवा का अधिकार अधिनियम 2011 की धारा 13 (1) और 214 के संशोधित अधिनियम के अनुसार आयोग के मुख्य आयुक्त और आयुक्तों की नियुक्ति राज्य सरकार को नेता प्रतिपक्ष की सलाह से करनी होती है।
राज्य सरकार का अर्थ सामूहिक निर्णय लेते समय कैबिनेट से और महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय लेते समय मुख्यमंत्री से होता है। उत्तराखण्ड सहित सभी राज्यों में संवैधानिक पदों और अधिनियमों में उल्लेखित नियुक्तियों को करने से पूर्व, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और अन्य सदस्यों के साथ बैठक कर व्यापक विचार- विमर्श के बाद ही नियुक्ति को अंतिम रुप दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि सचिव कार्मिक ने 27 जून 2२2 को उनके निजी सचिव को एक पत्र भेजकर आयुक्त पद पर भूपाल सिंह मनराल की चयन प्रक्रिया गतिमान होने और दस दिन के भीतर सलाह देने को कहा है। उन्होंने कहा कि आश्चर्य इस बात का है कि सवाल मांगने के नौवें दिन भूपाल सिंह मनराल की नियुक्ति आयुक्त पद पर कर दी।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पत्र के साथ कोई पैनल भी नहीं भेजा, न ही नियुक्त होने वाले व्यक्ति का बायोडाटा, सेवा रिकार्ड, गोपनीय जांच रिकार्ड या उसकी योग्यताएं भेजी।
ऐसे में कोई सलाह नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि फिर सचिव किसी भी हाल में सरकार नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में मान्य परंपराओं से होना उचित नहीं माना जा सकता है।
उन्होंने कहा कि राज्य सेवा अधिकार आयोग राज्य के विभागों के विरुद्ध शिकायत सुनता है। वर्तमान में मुख्य आयुक्त के रूप में एक पूर्व नौकरशाह और आयुक्त के रूप में पूर्व पुलिस अधिकारी नियुक्त हैं। उन्होंने कहा कि इनसे अपने ही पूर्व विभागों की अकर्मण्यता की शिकायतों को सुनकर सही निर्णय देने की अपेक्षा नहीं की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि न्यायिक सेवा, पत्रकारिता, समाज सेवा, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सेवाओं से संबंधित व्यक्ति भी आयुक्त के रूप में नियुक्त होने चाहिए थे। राज्य के नौकरशाहों ने मुख्यमंत्री के विवेक की शक्ति का प्रयोग स्वयं कर एक नौकरशाह को नियुक्ति दे दी।
उन्होंने सीएम को नसीहत दी है कि यदि इस तरह के निर्णय ही लेने हैं तो नेता प्रतिपक्ष को इन निर्णयों से दूर रखने के लिए कानून में संशोधन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी लोकतांत्रिक व्यक्ति शासन को सरकार नहीं मानेगा। जनता द्वारा दी गई शक्तियों का प्रयोग भी मुख्यमंत्री, कैबिनेट और सरकार को ही करना चाहिए।