बागेश्वर। समय की मांग के अनुसार जनपद के गांवों को भी सड़कों से जोड़ने का कार्य चल रहा है, लेकिन सड़कों पर ठेकेदार द्वारा समय पर कार्य पूरा न करने व सुरक्षा उपाय न करने के कारण वर्तमान में 80 फीसदी सड़कें आपदा से प्रभावित हुए हैं।
यदि समय रहते इन सड़कों के संवेदनशील स्थानों में सुरक्षा उपाय किए जाते तो सरकार के धन का दुरुपयोग न होता व जनता को परेशानी भी नहीं होती। जनपद में विभिन्न कार्यदायी संस्थाओं के पास 159 सड़कों में 127 सड़कें आपदा से प्रभावित हुई हैं।
जनपद में सरकार की नीति के अनुसार कई गांवों को सड़कों से जोड़ा जा रहा है। कई सड़कें अब भी शासन में लंबित हैं तथा उनकी स्वीकृति के लिए जनप्रतिनिधि प्रयासरत हैं। इन सड़कों की स्वीकृति के बाद विभाग द्वारा ठेकेदार के साथ अनुबंध के बाद कार्य प्रारंभ कराया जाता है परंतु अधिकांश: देखने में आता है कि कई ठेकेदार कार्य लेने तक जिस तरह से सक्रिय होते हैं उस तरह से वे कार्य नहीं कर पाते हैं।
राजनीतिक पहुंच होने के कारण विभागीय अधिकारी भी उसे नियमानुसार कार्य नहीं ले पाते हैं जिससे कार्य क्रमबद्धता के अनुसार नहीं हो पाता है तथा जिस स्थान पर कटान, खुदाई होती है उस स्थान पर समय पर सुरक्षा उपाय नहीं हो पाते हैं।
कई बार तो आंगणन में ही सुरक्षा उपाय का कार्य नहीं रखा जाता है तथा विभाग अन्य मदों से इसके लिए धन की मांग करता है। जिससे मानसून आते ही कटान के आसपास के क्षेत्रों में भूस्खलन होने लगता है। जिससे या तो सड़क में यातायात ही बंद हो जाता है या फिर सड़क का ही एक हिस्सा आपदा की भेंट चढ़ा जाता है तथा वर्षों तक इसे सही नहीं किया जाता है।
ग्रामीण विभाग को बताते हैं जिम्मेदार
सीलिंग गांव के तारा सिंह कुमल्टा बताते हैं कि काफली मेडा गांव को जाने वाली सड़क के लिए पीएमजीएसवाई द्वारा पहाड़ को बेतरतीब तरीके से काटा गया। जिससे सड़क में दो साल से यातायात बंद है। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों ने सर्वे के दौरान ही विभाग को पहाड़ में भूस्खलन की संभावना जताई थी परंतु विभाग ने उनकी सुनी नहीं और अब सरकार का करोड़ो रुपया बर्बाद हो रहा है।
जनपद में बरसात के दौरान 80 फीसदी सड़कें आपदा से प्रभावित हुई हैं। जनपद में कुल 159 सड़कों में से 127 सड़कों मानसून में आपदा की भेंट चढ़ी। कुछ प्रभावित सड़कों को तुरंत खोल दिया गया परंतु अधिक खर्च की आवश्यकता होने वाली सड़कों के लिए विभाग द्वारा धन की मांग की है।
शिखा सुयाल, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी।