अजय कुमार
लखनऊ । भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के योगी मंत्रिमण्डल में शामिल होने के बाद नये अध्यक्ष को लेकर जो चर्चा शुरू हुई थी उस पर अध्यक्ष पद से स्वतंत्रदेव सिंह के इस्तीफे देने के नये प्रदेश पार्टी की रेस तेज हो गई है।उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा लगातार दूसरी जीत का इनाम प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को देते हुए उन्हें योगी सरकार में जलशक्ति मंत्री बना दिया गया।
एक व्यक्ति, एक पद का सिद्धांत पार्टी में लागू है, इसलिए तय है कि स्वतंत्र देव के स्थान पर नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी।यूपी में सरकार गठन के बाद मार्च से ही दिमागी घोड़े इस दिशा में दौड़ रहे हैं कि पार्टी प्रदेश में संगठन के मुखिया का जिम्मा किस वर्ग के कार्यकर्ता को सौंपेगी।
पार्टी के भीतर ही कई तर्क हैं, मसलन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव की तरह 2024 को ध्यान में रखते हुए ब्राह्मण को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा या विधानसभा चुनाव में बसपा से विमुख होकर भाजपा की ताकत बढ़ाने वाले दलित वर्ग को पार्टी आकर्षित करना चाहेगी। इस रेस में बीजेपी के कई दिग्गज चेहरे शामिल हैं।
इसमें कई नाम वह भी हैं जो योगी की पूर्व सरकार में मंत्री थे,लेकिन योगी-02 सरकार का हिस्सा नहीं बन पाये हैं। इन नेताओं में पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, कन्नौज के सांसद सरकार का खेमा पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा और पूर्व मंत्री श्रीकांत शर्मा एवं प्रदेश महामंत्री सुब्रत पाठक, अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम, नोएडा के सांसद डॉ. महेश शर्मा और प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक प्रमुख दावेदार हैं। वैसे राजनीति के कुछ जानकारों का कहना है कि बीजेपी आलाकमान हमेशा चौकानें वाले फैसले लेने के लिये जाना-जाने लगा है,ऐसे में कोई ऐसा चेहरा भी अध्यक्ष पद के लिए सामने आ सकता है जिसकी सुगबुगाहट दूर-दूर तक नहीं सुनाई दी होगी।
2017 में बीजेपी आलाकमान आश्चर्यजनक रूप से योगी को मुख्यमंत्री बनाने का भी सफल प्रयोग कर चुका है,लेकिन यह तय है कि कोई ठाकुर चेहरा अध्यक्ष की कुर्सी पर नहीं बैठेगा।क्योंकि भले ही सीएम कर्म से योगी हों,लेकिन जन्म से वह क्षत्रिय ही हैं।ऐसे में सीएम और प्रदेश अध्यक्ष का पद एक ही बिरादरी को नहीं मिल सकता है।
उधर, पार्टी के एक राष्ट्रीय महामंत्री श्रीकांत शर्मा की पैरवी कर रहे हैं,जबकि दिनेश शर्मा का नाम आरएसएस का चहेता होने के कारण चर्चा में है। वहीं चर्चा यह भी है कि यदि नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा आजकल में नहीं हुई तो 29 से 31 जुलाई तक चित्रकूट में होने वाले बीजेपी के तीन दिवसीय प्रशिक्षिण शिविर में स्वतंत्रदेव बतौर प्रदेश अध्यक्ष शामिल हो सकते हैं।
दिनेश शर्मा और श्रीकांत शर्मा के अलावा जो नाम चर्चा में हैं,उसमें प्रदेश महामंत्री सुब्रत पाठक, अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम, नोएडा के सांसद डॉ. महेश शर्मा और प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक प्रमुख हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पिछड़े वर्ग से उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का नाम भी चर्चा में है। कहा जा रहा है कि मौर्य योगी सरकार में अपने आप को ज्यादा सहज महसूस नहीं कर रहे हैं।
उनकी नाराजगी को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। बीते दिनों केशव प्रसाद मौर्य दो दिवसीय दिल्ली यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के अन्य दिग्गज नेताओं से मिले भी थे।इसी लिए लखनऊ से दिल्ली तक केशव को फिर संगठन की कमान सौंपने की चर्चा है।
केशव के प्रदेश अघ्यक्ष रहते भाजपा ने 2017 में शानदार प्रदर्शन करते हुए 325 सीटें जीतने का रिकॉर्ड बनाया था। वहीं पिछड़े वर्ग में केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा और पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी की दावेदारी के किस्से सुनाई पड़ रहे है। दलित वर्ग में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं इटावा के सांसद रामशंकर कठेरिया भी इस दौड़ में हैं। पार्टी के एक पूर्व राष्ट्रीय पदाधिकारी एवं आरएसएस प्रचारक उनकी पैरवी कर रहे हैं। प्रदेश महामंत्री अश्विनी त्यागी, अमरपाल मौर्य भी दावेदार है।