बहादराबाद ।थाना क्षेत्र अंतर्गत गश्त कर्मचारी गणों को एक बालक उम्र करीब 10 वर्ष लावारिस अवस्था में मिला। जिससे जानकारी करने पर केवल अपना नाम शांतनु के अलावा कुछ भी नहीं बता पा रहा था।
कर्मचारी गणों द्वारा उक्त बालक शांतनु को सुरक्षा की दृष्टि से बाल संरक्षण अधिकारी पूनम प्रजापति और का. रेणु चौहान की मदद से थाना बहादराबाद पर लाया गया।
बालक को थाना बहादराबाद लाने पर भूखा प्यासा प्रतीत हो रहा था। जिसको थाना कार्यालय में बैठा कर भोजन कराने के उपरांत तसल्ली देकर आराम से पुन: नाम पते की जानकारी की गई तो बालक अपना नाम ,पिताजी का नाम और स्कूल का नाम ही सही से बता पाया था।
हालांकि भाषा उत्तर पूर्वी भारत की होने के कारण ज्यादा समझ नहीं आ रहा था। फिर भी इस संबंध में बालक से पूछताछ में बालक द्वारा अपने स्कूल हदराई रामामााधव हाई स्कूल’ बताया। इस स्कूल को गूगल में सर्च करने पर यह स्कूल त्रिपुरा के दक्षिण पुलिन पर मोर पारा, थाना टेलीमुरा में यह स्कूल स्थित होना पाया गया।
इस संबंध में गूगल में थाना टेलीमुरा के बारे में कांटेक्ट नंबर सर्च किया गया तो वहां थाना टेलीमुरा थाना के एसएचओ सुबिमल बर्मन के मोबाइल नंबर मिला। जिनसे कांटेक्ट नंबर पर सम्पर्क कर उक्त बच्चे की वीडियो शेयर की गई तो उनके द्वारा तत्काल अपने स्तर से जानकारी कर उनके पिताजी तक यह सूचना भिजवाई।
उस वक्त उनके पिताजी खेत मे थे। घर आकर उनके द्वारा उनके द्वारा थानायक्ष बहादराबाद के मोबाइल नंबर पर संपर्क कर वीडियो काल करने हेतु आग्रह किया । बालक की उनके परिजनों से वीडियो काल करवाई गई, जिससे दोनों तरफ आंखे नम हो गई। परिजनों द्वारा बताया गया कि इस बच्चे को अभी एक माह पूर्व ही अगरतला की किसी संस्था द्वारा हरिद्वार में वात्सल्य वाटिका में पढ़ाई हेतु भेजा गया था।
जहां पर निशुल्क पढ़ाई होती है, और वहां पर उत्तर पूर्व के काफी बच्चे अध्ययनरत है। इससे पूर्व यह हदराई रामामाधब हाई स्कूल त्रिपुरा में पढ़ाई करता था। परंतु आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उसको वहां पढ़ाई हेतु वात्सल्य वाटिका भेजा गया था। 26 जुलाई को इसके द्वारा अपने मां पिताजी से वीडियो कॉल की गई थी।
जिससे इसको अपने मां पिताजी की याद आने पर अपने घर जाने का मन करने लगा। इस संबंध में वात्सल्य वाटिका से संपर्क किया गया तो उनके द्वारा बच्चों की गिनती की गई और बताया कि हमारे यहां से एक बच्चा मिसिंग है। हम उसी की तलाश कर रहे थे ।
परिजनों की सहमति और बच्चे को इस बात का आश्वासन दिखाते हुए कि आपको आपके घर भेजा जाएगा, साथ में उनके पड़ोस गांव के बच्चे भी इसी वात्सल्य वाटिका में पढ़ाई करते है। बच्चे को वात्सल्य वाटिका के मौजिज व्यक्तियों को सुपुर्द किया गया और निर्देशित किया कि 2,3 दिन में उसके परिजनों के पास घर छुड़वा दें।