शिवसेना चुनाव चिन्ह विवाद: उच्चतम न्यायालय करेगा एक अगस्त को सुनवाई

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह चुनाव आयोग के समक्ष चल रहे शिवसेना के चुनाव चिन्ह विवाद संबंधी मामले की सुनवाई रोकने की गुहार वाली याचिका पर महाराष्ट्र के राजनैतिक विवादों से उत्पन्न कुछ अन्य मामलों के साथ एक अगस्त को सुनवाई करेगा।

मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने श्री ठाकरे की शिवसेना का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल द्वारा याचिका पर तत्काल सुनवाई की गुहार और श्री  शिंदे एवं उनके समर्थकों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई की सहमति दी।

शीर्ष न्यायालय ने महाराष्ट्र के राजनैतिक घटनाक्रम से उत्पन्न अन्य संबंधित याचिकाओं के साथ मामले को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है। श्री सिब्बल ने ”विशेष उल्लेख” के दौरान मामले की तत्काल सुनवाई की गुहार लगाते हुए तर्क दिया कि शीर्ष न्यायालय जब तक आयोग्यता संबंधी (शिवसेना के बागी की विधायकों की) मामले पर विचार नहीं कर लेती तब तक वे (शिदें खेमा) चुनाव आयोग के पास नहीं जा सकते।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे एवं उनके समर्थकों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्री कौल ने कहा कि शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाएं अध्यक्ष द्वारा शुरू की गई अयोग्यता कार्यवाही के संबंध में हैं, जबकि चुनाव आयोग के समक्ष चल रही कार्यवाही अलग हैं।

पीठ ने चुनाव आयोग के समक्ष चल रही कार्यवाही के बारे में पूछा तो श्री कौल ने कहा कि इस मामले में केवल (आठ अगस्त के लिए) नोटिस जारी किया गया है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद शीघ्र सुनवाई की सहमति दी।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री श्री ठाकरे की नेतृत्व वाली शिवसेना ने एक याचिका दायर कर मुख्यमंत्री शिंदे एवं पार्टी के अन्य नेताओं की ओर से उन्हें बतौर ”असली” शिवसेना की मान्यता देने संबंधी याचिका पर चुनाव आयोग की कार्यवाही पर रोक लगाने आदेश देने की गुहार लगाई है।

शिवसेना के महासचिव सुभाष देसाई ने अपनी याचिका में बागी विधायकों  की अयोग्यता पर शीर्ष अदालत का अंतिम फैसला आने तक 22 जुलाई को चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई कार्यवाही पर रोक लगाने गुहार लगाई है।

याचिका में कहा गया है कि शीर्ष न्यायालय के समक्ष 20 जुलाई 2022 को महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष की ओर से पेश वकील ने आश्वासन दिया था कि दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता के मामले में आगे कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी।

शीर्ष न्यायालय के समक्ष दायर याचिका में कहा गया है कि शिंदे और अन्य ने कथित तौर पर चुनाव चिन्ह (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 (प्रतीक आदेश) के पैरा 15 के तहत ””असली शिवसेना” के रूप में मान्यता देने की चुनाव आयोग से मांग की है।

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