नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने यौन शोषण के आरोपी भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) के पूर्व जिलाध्यक्ष तरूण साह की अग्रिम जमानत खारिज कर दी। पुलिस अब तरूण साह के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। अदालत के आदेश से यह भी साफ है कि आने वाले समय में आरोपी तरूण साह व मुखानी थाना के पूर्व प्रभारी दीपक बिष्ट की परेशानी बढ़ सकती है।
तरूण साह पर हल्द्वानी की एक महिला की ओर से इसी साल अप्रैल में यौन शोषण का आरोप लगाया गया था। महिला की ओर से मुखानी थाने में इसी साल अप्रैल में एक तहरीर देकर आरोप लगाया गया कि उसने वर्ष 2018 में उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। इसके बाद वह लगातार उसका यौन शोषण करता रहा। पुलिस ने उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।
गिरफ्तारी से बचने के लिये तरूण साह उच्च न्यायालय पहुंचा और अदालत ने 29 जून 2022 को उसे अग्रिम जमानत प्रदान कर दी। इस घटना में मोड़ तब आया जब महिला ने उच्च न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र देकर कहा कि मुखानी थाना प्रभारी दीपक बिष्ट उस पर मुकदमा वापस लेने के लिये दबाव बना रहा है।
यही नहीं थाना प्रभारी की ओर से भी पीड़िता से यौन संबंध स्थापित करने और पांच लाख रुपये की मांग भी की गयी। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की अदालत में हुई। अदालत ने इस प्रकरण को बेहद गंभीरता से लेते हुए पुलिस से 24 घंटे के अदंर जवाब-तलब कर दिया।
अदालत के दबाव में पुलिस हरकत में आयी और प्राथमिक जांच के बाद थाना प्रभारी दीपक बिष्ट को निलंबित कर दिया। साथ ही उसके खिलाफ विभागीय जांच भी बिठा दी। अदालत ने आज तरूण साह की अग्रिम जमानत पर सुनवाई की।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह गंभीर प्रकरण है और आरोपी अपने राजनीतिक रसूख के चलते पीड़िता का लगातार यौन शोषण के साथ ही प्रताड़ित करता रहा। जब महिला ने उसकी बात नहीं मानी तो उसने महिला के घर पर जाकर मारपीट और तोड़फोड़ भी की।
अदालत ने इस पूरे प्रकरण में पुलिस के रवैये पर भी सवाल उठाये और कहा कि पुलिस ने महिला की तहरीर पर अभियोग पंजीकृत नहीं किया। यहां तक कि महिला को घंटों तक थाने में बैठाकर उस पर समझौता का दबाव बनाया गया। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से शिकायत के बाद आरोपी के खिलाफ अभियोग पंजीकृत किया गया।
हालांकि आरोपी की ओर से आज फिर यही दुहाई दी गयी कि वह पाक साफ है और चार साल के बाद आरोप लगाये गये हैं। उसने स्वयं इस मामले की सीबीसीआईडी जांच कराने की मांग की है। अंत में अदालत ने मामले को सुनने के बाद आरोपी की अग्रिम जमानत को खारिज कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में मुखानी थाने के पूर्व थाना प्रभारी दीपक बिष्ट पर भी गंभीर टिप्पणी की है।