एनडीआरएफ ने उधमसिंह नगर में स्थापित की अपनी 15वीं वाहिनी को

देहरादून।एनडीआरएफ ने उधमसिंह नगर अन्तर्गत, गदरपुर में अपनी 15वीं वाहिनी (बताली6) स्थापित कर दी है। इस बटालियन की छह कम्पनी राज्य के विभिन्न संवेदनशील छह जिलों में नियुक्त की गई हैं।

एनडीआरएफ की इस बटालियन के सेनानायक (कमाण्डेंट) भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी सुदेश कुमार दराल ने सोमवार को बताया कि उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के अनुरोध पर गृह मंत्रालय ने यहां बटालियन स्थापित कर दी है।

उन्होंने बताया कि मानसून 2022 के दृष्टिकोण से राज्य के अति संवेदनशील एवं संवेदनशील क्षेत्रां को देखते हुए 06 टीमों को अलग-अलग जिलों में नियुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि यह कम्पनी अल्मोड़ा, पिथौरागढ, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग (केदारनाथजी) एवं आर.आर.सी. झाझरा (देहरादून) में समस्त साजो-सामान के साथ तैनात की गई है।

कमांडेंट श्री दराल ने बताया कि प्रत्येक टीम में एक विशेष प्रकार की क्षमता है। जो अलग-अलग प्रकार की आपदाओं से निपटने के लिए सक्षम है। जिससे आपदा के समय एनडीआरएफ टीम द्वारा त्वरित कार्यवाही करते हुए राहत एवं बचाव कार्य किये जा सकें।

उन्होंने बताया कि इन कम्पनियों के दिशा निर्देशन के लिये दो अधिकारियों की नियुक्ति गढ़वाल एवं कुमाऊं मण्डल में आपदा एवं राहत बचाव कार्य हेतु की गई है। श्री दराल ने बताया कि राज्य के डीजीपी के अनुरोध एवं एनडीआरएफ प्रमुख अतुल करवाल के निर्देशन पर एक विशेष टीम को चारधाम यात्रा हेतु श्री केदारनाथ जी में भी तैनात किया गया है।

उन्होंने बताया कि इस टीम द्वारा यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को काफी मदद पहुंचायी जा रही है, जिससे वहाँ के सिविल प्रशासन को यात्रा को सुचारू रूप से चलाने में काफी मदद मिल रही है तथा यात्रा में गये श्रद्धालुगण स्वयं को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ को लोकप्रियता तथा मानवीय कार्यों में सेवा के प्रति समर्पण के कारण ही ऐंगल्स इन आरेंज अर्थात देवदूत भी कहा जाता है।

एनडीआरएफ कमांडेंट ने जानकारी दी कि पूरे वर्ष राज्य के सभी जिलों में समुदाय की आपदा से निपटने की क्षमता में विकास किया जा रहा है। जिससे यहां के सभी लोगों को आपदा से निपटने हेतु सक्षम एवं कुशल बनाया जा सके।

उन्होंने बताया कि क्षमता वृद्धि कार्यक्रम के दौरान, अलग-अलग प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम जैसे सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम तथा बच्चों को स्कूल सेफ्टी प्रोग्राम के माध्यम से विकसित किया जा रहा है।

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