इंफाल। मणिपुर के नोनी जिले में भूस्खलन से मरने वालों की संख्या बढ़कर 29 हो गई। मृतकों की संख्या और बढ़ने की आशंका है, क्योंकि राहत एवं बचाव अभियान अभी भी जारी है। अधिकारियों ने बताया कि मृतकों में 20 प्रादेशिक सेना के जवान, निर्माण कार्य में लगे छह श्रमिक, एक अभियंता तथा दो ग्रामीण शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि तुपुल में 29 और 30 जून की दरम्यानी रात को भूस्खलन शुरू हुआ था। इस घटना के बाद से करीब 35 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। मौसम में सुधार नहीं होने पर अधिकारियों ने निचले इलाकों के लोगों को खाली करने को कहा है। इस बीच, इंफाल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पूरे सैन्य सम्मान के बाद प्रादेशिक सेना के 14 जवानों के पार्थिव शरीर को उनके घर भेज दिया गया। अब तक 13 प्रादेशिक सेना के जवानों और पांच नागरिकों को सुरक्षित बचा लिया गया है।
मणिपुर पुलिस, भारतीय सेना, असम राइफल्स, प्रादेशिक सेना, राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के जवानों ने तुपुल में घटना स्थल पर लगातार तीसरे दिन तलाश अभियान चलाया। एक अधिकारी ने बताया कि बारिश ने राहत एवं बचाव अभियान को थोड़ा प्रभावित किया।
घटनास्थल के पास एक भूस्खलन भी हुआ, लेकिन इससे बचाव कार्य प्रभावित नहीं हुआ या कोई हताहत या बड़ा नुकसान नहीं हुआ। एक रक्षा अधिकारी ने बताया कि अब तक प्रादेशिक सेना के एक जेसीओ और 12 अन्य जवानों के पार्थिव शरीरों को भारतीय वायुसेना के दो विमानों और भारतीय सेना के एक हेलीकॉप्टर द्वारा उनके संबंधित गृह स्टेशनों पर भेजा गया है।
वहीं, प्रादेशिक सेना के एक जवान का पार्थिव शरीर सड़क मार्ग से मणिपुर के कांगपोकपी जिले में भेजा गया। इंफाल में जीओसी रेड शील्ड डिवीजन और आईजी आईजीएआर (दक्षिण) द्वारा पूरे सैन्य सम्मान के साथ पार्थिव शरीरों पर माल्यार्पण किया गया। सैन्य परंपरा के अनुसार पीड़तिों के संबंधित गृह स्टेशनों पर भी इसी तरह के सम्मान पेश किया जाएगा।
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह राहत एवं बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे हैं और सरकार ने प्रभावित क्षेत्र में वरिष्ठ अधिकारियों एवं सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया है। दूसरी ओर, नोनी के उपायुक्त हौलियानलाल गुइटे ने शनिवार को एक परामर्श में कहा कि लजेई नदी का प्रवाह अभी भी मलबे से बाधित है, जिससे बांध जैसी जल भंडारण की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जो अगर टूट गई, तो नोनी जिला मुख्यालय के निचले इलाके में कहर बरपाएगी।
संग्रहित पानी के सुरक्षित बहाव की अनुमति देने के लिए एक स्पष्ट चैनल बनाने के लिए एक दर्जन अर्थ मूवर्स का उपयोग करने का प्रयास किया जा रहा है। निचले इलाकों में स्थित गांवों में रहने वाले आम जनता को सलाह दी गई है कि वे सावधानी बरतें और सुरक्षित स्थान पर जाएं। उन्होंने कहा कि कई केंद्रीय और राज्य विभागों में कार्यरत 400 से अधिक कर्मी भूस्खलन स्थल पर खोज और बचाव कार्य में शामिल हैं।