महाराष्ट्र की सियासी खेल में देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को मात दी
फडणवीस ने कहा था, मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना मैं समंदर हूं लौटकर वापस आऊंगा
महाराष्ट्र की सियासी उठा पटक की खेल में देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को मात दे दी । कल यानि बुधवार रात 9 बजे महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने के बाद महाराष्ट्र बीजेपी के कदावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की विगत कुछ वर्षों पूर्व जब उन्होंने अपने सीएम पद से इस्तीफा दिया था, उस समय उन्होंने कहा था कि मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना, मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा’।
अगर देखा जाए तो यह डायलॉग किसी हिन्दी फिल्मों जैसा है, लेकिन मौजूदा राजनीति में इस डायलॉग को पॉपुलर करने का श्रेय महाराष्ट्र के बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को जाता है।
आपको बता दें कि ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी के नेता फडणवीस महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से धुरी बनकर लौट आए हैं। विरोधियों को चारों खाने चित कर, खुद को ज्यादा मजूबत कर।
आपको बता दें कि बीते एक दिसंबर 2019 को महाराष्ट्र विधानसभा में देवेंद्र फडणवीस ने जब ये बयान दिया था तो उन्होंने संकेत दे दिए थे कि खेल खत्म नहीं हुआ है और वे वापस आएंगे।
दरअसल नवंबर 2019 में जब फडणवीस ने रात के अंधेरे में सीएम पद की शपथ ली थी तो एनसीपी के साथ जोड़-तोड़ कर बनाई गई उनकी ये सरकार इस युवा बीजेपी नेता के लिए शर्मिंदगी का सबब लेकर आई।
देवेन्द्र फडणवीस की इस घटनाक्रम से बहुत बड़ी बेइज्जती हुई ,और उन्होनें महज 80 घंटे के बाद ही इस्तीफा दे दिया। उस समय देवेन्द्र फडनवीस ने कहा था- मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना, मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना, मैं समंदर हूं, लौट कर वापस आऊंगा।
आपको बता दें कि ठीक 930 दिन बाद ऐसी तस्वीर आई जब पूरे शोर शराबे के साथ समंदर लौट आया है। वक्त भले ही 930 दिन का लगा लेकिन वो लौटा और ऐसे लौटा की उसके किनारे घर बसाने वालों के घरों को उजाड़ दिया।
फडणवीस का ही दिमाग़ है कि उद्धव के लिए हालत ये हो गये हैं कि सरकार के साथ-साथ पार्टी भी हाथ से जाती हुई दिखाई दे रही है। बीजेपी के कैंप में जश्न मनाया गया, नारे बाजी हुई। आपको बता दें कि फडणवीस का ये पुराना वीडियो फिर से वायरल हो गया।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र की उद्धव सरकार की तख़्ता पटल की तैयारी बहुत पहले से ही थी। बतौर नेता प्रतिपक्ष फडणवीस उद्धव सरकार पर लगातार हमलावर रहे। देवेद्र फडणवीस ये वो नाम है जिसने उद्धव ठाकरे को उसकी ही सेना से मात दिलवा दी। उद्धव सरकार को चारों खाने चीत कर दिए।
वही शिवसेना के कई कदावर नेता शिवसेना से बागी हो गए। वही महाराष्ट्र में उद्धव सरकार के गठबंधन महाविकास अघाड़ी के खेल बिगाड़ने की पूरी पटकथा बहुत पहले ही देवेंद्र फडणवीस ने लिख दी थी। लेकिन कोई चूक पहले की तरह न हो इसके लिए वो सही समय का इंतज़ार करते रहे।
इसलिए देवेद्र फडणवीस इस बार गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ मिलकर पर्दे के पीछे काम करते रहे। उन्होंने योजना भी ऐसी बनाई कि जिसमें वो चाणक्य ज़रूर रहे लेकिन आखिर तक सामने नहीं आए।
फडणवीस पिछले ढाई सालों से महाराष्ट्र के इस प्रयोग को बेमेल, अवसरवादी और कुर्सी परस्त बता रहे थे। उन्हें उस मौके का इंतजार था जब शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी को एक साथ बांधने वाली इस गठबंधन की रस्सियां चटकने लगें। इस बार सत्ता की शतरंज में उन्होंने कोई चूक नहीं की।
शिवसेना को शिवसेना से ही शह और मात दिलवा दी। इस मिशन के तहत हिंदुत्व की विचारधारा को ही सामने किया गया। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कहा जा रहा है कि शिवसेना के वरिष्ठ और क़द्दावर नेता एकनाथ शिंदे से वो क़रीब एक साल से संपर्क में थे। लेकिन किसी को इसकी भनक तक ना लगने दी।
आदित्य ठाकरे ने भी शिंदे को किया था अपमानित
एकनाथ शिंदे हिंदुत्व के बड़े पैरोकार माने जाते हैं। ठाणे और आसपास का क्षेत्र उनका गढ़ माना जाता है। महाविकास अघाड़ी वाली सरकार में जिस तरह से उद्धव कांग्रेस और एनसीपी के दबाव में काम कर रहे थे उससे शिंदे और उनके साथी विधायक ख़ुश नहीं थे। इसमें आग में घी डालने का काम किया हनुमान चालीसा मुद्दे। फडणवीस के सामने उद्धव पर हमले के लिए सबसे बड़ा हथियार विचारधारा से समझौते का था। फडणवीस ने इसी सूत्र को पकड़ा और विचारधारा के इसी भटकाव पर उद्धव के खिलाफ खेल गए।
सूत्रों के मुताबिक़ कुछ समय पहले भी किसी मुद्दे पर आदित्य ठाकरे ने भी शिंदे को अपमानित किया था। जिसके बाद शिंदे ने शिवसेना के अंदर ही अंदर फडणवीस के इशारों पर खेल शुरू कर दिया। रातों रात शिंदे के नेतृत्व में विधायकों को बॉर्डर पार करवा कर सूरत पहुंचा दिया। करीब दो दिनों के बाद शिवसेना के बागी विधायक गुवाहाटी पहुंच गए। जहां धीरे-धीरे बाग़ी विधायकों की संख्या 39 तक पहुंच गई इसके अलावा वहां निर्दलीय विधायक भी पहुंच गए। आपको बता दें कि इस पूरे घटनाक्रम पर महाराष्ट्र बीजेपी नेता देवेद्र फडणवीस और बीजेपी के किसी भी नेता का बयान इस पूरे घमासान पर केवल इतना ही आया कि ये शिवसेना का अंदरूनी मामला है।
10 दिनों के सियासी महायुद्ध का अंतिम
जब सत्ता के खेल में शह दे दी गई तब 2 दिन पहले फडणवीस ने दिल्ली जाकर गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाक़ात की और इस खेल को उसके अंजाम तक पहुंचाया। ये फडणवीस ही थे जिन्होंने इस खेल में हिंदुत्व विचारधारा को सबसे बड़ा हथियार बनाया।करीब 10 दिनों के सियासी महायुद्ध का अंतिम हो गया। महाविकास अघाड़ी सरकार की सरकार सता से बाहर गई। उद्धव ठाकरे भी ये कहते हुए विदा हुए कि लौटकर आऊंगा। इन सब बातों के बीच इस सियासी महायुद्ध में दो लोगों का कद सियासत में बहुत ऊंचा हो गया। एक वो जिन्होंने कहा था मैं समंदर हूं लौटकर आऊंगा यानी बीजेपी के देवेन्द्र फडनवीस और दूसरे शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे।जिन्होंने अपनी पहचान अब असली शिवसेना के रूप में स्थापित कर ली है।
इस जीत के मुख्य किरदार बने देवेद्र फडणवीस
देवेंद्र फडणवीस के बारे में राजनीति के जानकारों का कहना है कि वह बीजेपी के चिर-परिचित दिग्गज नेताओं की शैली में काम नहीं करते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि फडणवीस के काम करने का तरीका बहुत सधा होता है। वह लक्ष्य पर नजर रखते हुए रणनीति बनाते हैं और फिर एक-एक कदम उठाते हैं। बतौर सीएम भी उनकी कार्यशैली किसी कार्पोरेट प्रोफेशनल की तरह थी। बीजेपी की इस जीत का श्रेय मुख्य तौर पर फडणवीस को ही जाता है।
महाराष्ट्र की राजनीति में फडणवीस अब सर्वमान्य चेहरा हैं और खुद दिल्ली दरबार से उन्हें मान्यता और संरक्षण मिला है। फडणवीस ने सीएम की कुर्सी छोड़ने के बाद भी अपनी सक्रियता बनाए रखी थी और लगातार कोशिश करते रहे थे। ऐसा माना जा रहा है कि एक जुलाई को बीजेपी की सरकार बनेगी।