चारधाम यात्रा : मानसून की दस्तक होते ही तीर्थयात्रियों की संख्या में कमी

 छ: माह की चारधाम यात्रा में मई-जून में मुख्य यात्रा प्रवाह

• पर्यटक वर्षभर पहुंचते है

देहरादून। उत्तराखंड चारधाम यात्रा अर्थात श्री बदरीनाथ, श्री केदारनाथ, श्री गंगोत्री- यमुनोत्री धाम यात्रा छ: माह के अल्पकालिक समय तक चलती है इस बावत श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ का कहना है कि ग्रीष्मकाल हेतु छ: माह मंदिरों के कपाट खुले रहते हैं शीतकाल में बंद हो जाते हैं।
सदियों से यह परंपरा चली आ रही है। पुरातन समय में उत्तराखंड हिमालय में विकट परिस्थितियां थी भले अब यातायात के पर्याप्त साधन हैं तो सड़कों से लेकर हवाई सेवा तक सुगम है।धार्मिक मान्यताओं का भी अपना महत्व है माना जाता है कि छ: माह देवता पूजा करते है छ:माह मानव पूजा करते हैैं।

शीतकाल में संपूर्ण तीर्थक्षेत्र बर्फ से ढ़क जाता है वहां आवागमन भी आसान नहीं रहता। प्रतिकूल परिस्थितियों को देखते हुए भी छ:माह कपाट खुले रखने की परंपरा बन गयी। जबकि पर्यटक वर्षभर उत्तराखंड आते रहते है।
छ: माह के समय अंतराल में अक्षय तृतीया से उत्तराखंड चारधाम यात्रा शुरू हो जाती है इस दिन गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट खुलते है जबकि इसके बाद श्री केदारनाथ एवं श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलते हैं।छ: माह के यात्रा काल में यात्रा का मुख्य प्रवाह मई- जून में रहता है। मई माह से जून दूसरे- तीसरे सप्ताह तक संपूर्ण यात्राकाल के 70 फीसदी तीर्थयात्री पहुंचते हैं।
इसका मुख्य कारण मई- जून का उष्ण मौसम है तथा धामों को आने हेतु तीर्थयात्री समय निकाल पाते हैं बच्चों के स्कूलों की छुट्टियां रहती है।बाद में जुलाई – अगस्त में मानसून की दस्तक के बाद तीर्थयात्रा का प्रवाह कम हो जाता है। भूस्खलन से सड़कमार्ग आंशिक अवरूद्ध होते रहते है। स्कूल-कॉलेज खुल जाते हैैं।
सितंबर अक्टूबर माह में सर्दी की आहट से तीर्थयात्रा में ठहराव की स्थिति रहती है।

विशेष प्रयोजन जन्माष्टमी,दशहरा, दीपावली, पितृ पक्ष के अवसर पर तीर्थयात्रियों की आमद रहती है।
भैया दूज पर यमुनोत्री- गंगोत्री तथा गोवर्धन पूजा के दिन गंगोत्री के कपाट बंद हो जाते है।नवंबर माह के दूसरे तीसरे सप्ताह में श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद हो जाते हैैं।मीडिया प्रभारी का कहना है इस तरह चारधाम यात्रा के पूरा होने पर शीतकालीन पूजायें शुरू हो जाती है। अत: कह सकते हैं कि तीर्थयात्रियों की संख्या मई-जून माह में अधिक रहती है बाद में तीर्थयात्रियों की संख्या कम हो जाती है।

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