नैनीताल। आय से कई गुना अधिक सम्पत्ति के मामले में सतर्कता विभाग के रडार पर आये भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी राम विलास यादव के खिलाफ दायर अभियोग (एफआईआर) के मामले में अदालत ने सरकार से 19 जुलाई तक जवाब देने को कहा है।
यादव को विजिलेंस विभाग की ओर से बुधवार को देहरादून में गिरफ्तार कर लिया गया था। आईएएस अधिकारी यादव की ओर से गिरफ्तारी पर रोक लगाने और दर्ज अभियोग को निरस्त करने को लेकर उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गयी है।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से उच्चतम न्यायालय के कई आदेशों का हवाला देते हुए कहा गया कि विजिलेंस एवं पुलिस की गिरफ्तारी की कार्यवाही से मुख्य मामले पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
अदालत एफआईआर निरस्त करने के मामले में सुनवाई कर सकती है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उसके खिलाफ लगाये गये आरोप गलत हैं। वह जांच में सहयोग करने को तैयार है।
विजिलेंस की ओर से उसे आज तक पूछताछ के लिये नहीं बुलाया गया। वह पहली बार विजिलेंस के समक्ष पेश हुआ और श्री यादव को गिरफ्तार कर लिया गया। दूसरी ओर सरकार की ओर से याचिका की पोषणीयता पर सवाल उठाया गया और कहा गया कि आरोपी आईएएस अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
इसलिये याचिका का अब कोई महत्व नहीं रह गया है। यह भी कहा गया कि आरोपी के खिलाफ विजिलेंस के पास पर्याप्त सुबूत हैं। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि मामले को सुनने के बाद अदालत ने सरकार से पूछा है कि याचिकाकर्ता को किस आधार पर गिरफ्तार किया गया है।
साथ ही सरकार से याचिका में उठाये गये सभी बिन्दुओं पर भी जवाब देने को कहा गया है। राज्य सरकार ने अदालत को सभी बिन्दुओं पर 19 जुलाई तक जवाब देना है।
इस मामले में अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश पर उत्तराखंड विजिलेंस विभाग की टीम की ओर से आईएएस अधिकारी यादव के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति का मामला दर्ज कर जांच की जा रही है।
विभाग की ओर से आरोपी के कई ठिकानों पर छापा मारा गया था और विजिलेंस विभाग की टीम को जांच में कई सुबूत मिलने का दावा किया गया था।
इसके बाद श्री यादव की ओर से गिरफ्तारी से बचने और एफआईआर को निरस्त करने की मांग को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी।