नयी दिल्ली । पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने आज कहा कि पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना ने चीन की नापाक हरकत के जवाब में जो भी कार्रवाई की उसके पीछे पूरे देश और तीनों सेनाओं के बेहतर तालमेल की ताकत थी।
जनरल नरवणे ने सोमवार को यहां पूर्व वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया के साथ वरिष्ठ पत्रकारों मुकेश कौशिक और संजय सिंह की पुस्तकों ‘भारत-चीन एलएसी टकराव इनसाइड स्टोरी’ तथा ‘आईएएफ स्ट्राइक @ 0328 आवर्स’ के विमोचन के मौके पर यह बात कही।
जनरल नरवणे ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन के खिलाफ जो भी कार्रवाई की गयी वह पूरे देश का एकजुट प्रयास था। इसमें तीनों सेनाओं के तालमेल का योगदान था। उन्होंने कहा कि इस मामले में राजनीतिक, राजनयिक और सैन्य स्तर पर बेहतर तालमेल था जिसके कारण सफलता मिली।
उन्होंने कहा कि जब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव चल रहा था तो तीनों सेनाओं के प्रमुख हर रोज सुबह स्थिति की समीक्षा कर रणनीति बनाते थे। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से वायु सेना ने बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उन्होंने कहा कि जवाबी कार्रवाई का सबसे अधिक श्रेय यदि किसी को जाता है तो वह सेना का जवान है जिसने बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों में मोर्चे पर डटे रहकर बहादुरी से स्थिति का सामना किया। एयर चीफ मार्शल भदोरिया ने कहा कि सुरक्षा मुद्दों पर पुस्तकों का अध्ययन कर स्थिति का विश्लेषण करने से हकीकत का पता चलता है।
उन्होंने हल्के अंदाज में कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि बालाकोट स्ट्राइक आपरेशन से संबंधित गूढ बातें इस पुस्तक में नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह पता चलना अच्छी बात है कि आपरेशन किया गया लेकिन वायु सेना की रणनीति के हिसाब से यह सार्वजनिक नहीं होना चाहिए कि आपरेशन को कैसे अंजाम दिया गया।
इन दोनों पुस्तकों में पूर्वी लद्दाख में चीन की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति में बदलाव की कोशिशों के कारण उत्पन्न टकराव तथा बालाकोट स्ट्राइक की विभिन्न पहलुओं से व्याख्या की गयी है।