पैगंबर विवाद का असर

सार्थक दासगुप्ता/आफरीन

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में बवाल मचा हुआ है। खासकर, हावड़ा सहित एक दर्जन से ज्यादा जनपदों में तनाव का माहौल कायम है। यहां यह उल्लेख करना बेहद जरूरी है कि हावड़ा जनपद के पांचला क्षेत्र में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।

माहौल खराब होने के पीछे पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा एवं नवीन जिंदल की कथित विवादित टिप्पणी मुख्य कारण माना जा रहा है। हालांकि, यह गरमाहट झारखंड में देखी जा रही है जहां अब तक दो लोगों की मौत भी हो चुकी है। कानून व्यवस्था बिगड़े नहीं, इसको ध्यान में रखकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाए हैं।
ममता बनर्जी ने हावड़ा की लगातार चरमरा रही कानून व्यवस्था में सुधार लाने के मकसद से एडीजी और आइजी की अगुआई में 10 आईपीएस अधिकारियों को लेकर एक टास्क फोर्स का गठन भी किया।

केवल इतना ही नहीं, हालात की गंभीरता को देखते हुए ममता बनर्जी ने हावड़ा के पुलिस कमिश्नर और पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) को दूसरे जनपद में स्थानांतरित भी कर दिया है। साथ ही, चेतावनी भी दी है कि बंगाल में किसी की भी गुंडई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

हावड़ा के अलावा मुर्शिदाबाद, कूचबिहार सहित कई जनपदों में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। नूपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी से पश्चिम बंगाल में इस कदर हंगामा शुरू हुआ जो शांत होने के बजाय और भी ज्यादा सुलगता जा रहा है।

हालांकि, सरकार ने विधि व्यवस्था को काबू में रखने के मकसद से हावड़ा में इंटरनेट सेवा बंद कर दिया है। साथ ही, हावड़ा में कफ्र्यू लगा दिया है। दरअसल, यहां कोई हिन्दू-मुस्लिम दंगा नहीं हुआ है।

एक समुदाय द्वारा हंगामा खड़ा किया जा रहा है। ताकि, यहां हो रहे बवाल को दंगे में तब्दील किया जा सके। लेकिन पश्चिम बंगाल की जनता समझदार है और वह विषय वस्तु से पूरी तरह से अवगत है। इसलिए यहां के लोग किसी के भी झांसे में आने वाले नहीं हैं।
दूसरी ओर, राजनीतिक पार्टियां भी पश्चिम बंगाल में बवाल के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन राजनीतिक पार्टियों की इस पूरे मामले में नजर जरूर है। वामपंथी दलों ने तो स्पष्ट कहा है कि इस घटना के पीछे भाजपा और तृणमूल कांग्रेस की चाल है।

दोनों ही पार्टियां मिली हुई हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने प्रभावित क्षेत्रों में जाने की कोशिश जरूर की लेकिन पुलिस ने मजूमदार को उक्त क्षेत्र में जाने की इजाजत नहीं दी। कांग्रेस खामोश है, पर उसकी नजर पश्चिम बंगाल के बवाल वाले सभी जनपदों में टिकी हुई है।

मौजूदा माहौल में राजनीतिक पार्टियों को आग में घी डालने के बजाय पानी डालने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि इससे किसी भी पार्टी का वोट बैंक बढ़ने वाला नहीं है। हां, धर्म गुरुओं को आगे आकर उग्र लोगों को समझाना चाहिए। ऐसा प्रयास भी किया जा रहा है। लेकिन इसको और भी ज्यादा और प्राथमिकता के साथ करना होगा।
आगजनी फैला रहे लोगों को नहीं पता है कि वे क्या कर रहे हैं। ये तो मात्र मोहरे के सिवाय और कुछ भी नहीं हैं। इस कांड में दिमाग तो कहीं और चल रहा है। आगजनी फैलाने वालों को हवा दी जा रही है। इस पर लगाम लगना ही चाहिए। यदि फसाद नहीं रुका तो पुलिस को अपना काम करने से कोई नहीं रोक सकता है।

कानून व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी तो पुलिस की है। पुलिस तो अपना काम करेगी ही और कर भी रही है, वरना हावड़ा की स्थिति काफी बदतर हो गई होती। बहरहाल, इस बवाल को रोकने के लिए चहुंओर प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। वरना यह कभी भी दंगे की शक्ल ले सकता है। इसलिए भड़की हिंसा की लपटों को थामने की जरूरत है।

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