अफसोसनाक: हाथी, सांभर सब खा रहे प्लास्टिक कचरा

उत्तराखंड के वनों में वैज्ञानिकों ने हाथी के गोबर के नमूने इकठे किए थे

देहरादून। शहरों में  तो कूड़ेदान से खाने के साथ प्लास्टिक खाती दिख ही जाती हैं लेकिन उत्तराखंड में जंगली हाथी, सांभर तक प्लास्टिक खा रहे हैं।
दुर्भाग्य से लोग जंगलों के पास कूड़ा फेंक रहे हैं जो किसी तरह उनके खाद्य के साथ उनके पेट में चला जा रहा है। श्रीलंका में तो बीते आठ साल में प्लास्टिक की भारी मात्रा पेट में चले जाने से 20 हाथियों की मौत तक हो गई।
‘ जर्नल फॉर नेचर कंजर्वेशन’ में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक वैज्ञानिकों की एक टीम ने उत्तराखंड के जंगलों में हाथी के गोबर के नमूने इकठे किए थे जिनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पाया गया। इससे साफ है कि जंगली हाथी मनुष्यों द्वारा प्लास्टिक के थैलों आदि में बिखेरा गया कूड़ा व अन्य सामग्री खा रहे हैं।
अध्ययन में गोबर में मिली हर मनुष्य उत्पादित चीज की पहचान की गई और उसे प्लास्टिक व अन्य मानव उत्पादित कूड़े में वर्गीत किया गया। अध्ययन में पाया गया कि हाथी के गोबर में मानव जनित कूड़े में करीब 32 प्रतिशत प्लास्टिक कूड़ा है।
बता दें कि हाथी अपने गोबर के जरिए बीज भी बिखेरते हैं लेकिन जब उनका खाना प्लास्टिक से प्रदूषित हो जाएगा तो वह जंगल में भी पहुंच जाएगा। इससे हाथी को ही नहीं बल्कि हाथी पर निर्भर अन्य जानवरों पर भी बुरा असर पड़ेगा। प्लास्टिक जब पेट मे पहुंचता है तो इस प्रक्रिया में फ् थैलेट्स, पॉलिस्ट्रीन, बिस्फेनॉल ए जैसे खतरनाक तत्व पाचन तंत्र में पहुंचते हैं।
जवाहरलाल नेहरू विवि की डॉ. गीतांजलि ने भी नेचर साइंस इनिशिएटिव के साथ कोटद्वार के निकट जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क अपने शोध के समय जंगली हाथियों को कूड़ा खाते देखा था। और हाथियों के गोबर के नमूने एकत्र किए थे।
उसमें भी उन्होंने हर नमूने में 85 फीसद तक प्लास्टिक पाया था। जो कि प्लास्टिक के घरेलू सामान, प्लास्टिक के डिब्बों, थैलों व पैकिंग सामग्री के अवशेष थे। इसका हाथियों पर ही नहीं उनका गोबर खाने वाले प्राणियों पर भी बहुत बुरा असर होता है।
19 मई को हरिद्वार में कुछ सांभर राजाजी टाइगर रिजर्व के पास फेंके गए कूड़े को खाते दिखे थे। इनके वीडियो वायरल होने के बाद वन्यजीव प्रेमियों ने सोशल मीडिया में इस मुद्दे को उछाला था जिसके बाद हरिद्वार नगर निगम ने इसके लिए दो धर्मशालाओं पर पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना किया है।

वन्यजीवों के लिए खतरा है केदारनाथ में फैला प्लास्टिक कूड़ा

हाल में केदारनाथ क्षेत्र में तीर्थ यात्रियों की बढ़ती भीड़ के मद्देनजर जिस तरह प्लास्टिक कूड़े के दृश्य सामने आ रहे हैं इससे उस इलाके के दुर्लभ कस्तूरी मृगों और अन्य जंगली जानवरों को भी खतरा हो सकता है क्योंकि संभव है कि वे खाद्य सामग्री की गंध से आकर्षित होकर या फिर वहां घास चरने के लिए आएं और उनके पेट मे घास के साथ प्लास्टिक भी चला जाए।

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