यूपीईएस स्कूल ऑफ मॉर्डन मीडिया ने अपने डिजिटल-फर्स्ट मीडिया कार्यक्रमों के लिये छात्रवृत्ति की घोषणा की

यह नई डिजिटल इनोवेशन स्कॉलरिशप, मेटा द्वारा वित्तपोषित है और वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों के लिये आरक्षित है

देहरादून। यूपीईएस स्कूल ऑफ मॉर्डन मीडिया ने आज घोषणा की है कि वे चुनिंदा छात्रों को अपना डिजिटल-फर्स्ट मीडिया कार्यक्रम पूरा करने के लिये पूर्ण छात्रवृत्ति प्रदान करेंगे।

इस छात्रवृत्ति की पेशकश सभी स्नातक मीडिया कार्यक्रमों पर की गई है, जैसे कि पत्रकारिता और जन संचार में बीए, डिजिटल और मास मीडिया में बीए और इवेंट, जनसंपर्क और कॉर्पोरेट संचार में बीबीए।

यह नया डिजिटल इनोवेशन स्कॉलरशिप, मेटा (पूर्व में फेसबुक) द्वारा वित्तपोषित है और गरीब छात्रों को विस्तृत होते डिजिटल मीडिया में कॅरियर का पहला कदम बढ़ाने में सहयोग देने के लिये आरक्षित है।

इस वर्ष छह छात्रवृत्तियां प्रदान की जाएंगी और इसके प्राप्तकर्ता को यूपीईएस द्वारा पूरे देश में प्रतियोगी प्रवेश परीक्षा के माध्यम से चुना जाएगा।
इस घोषणा के बारे में, डॉ. नलिन मेहता, डीन, यूपीईएस स्कूल ऑफ मॉर्डन मीडिया ने कहा कि, “डिजिटल तकनीक कई सारे सामाजिक विभेद को खत्म करने वाली साबित हुई हैं और भारत का पहला डिजिटल-फर्स्ट मीडिया स्कूल के रूप में पहुँच की बाधा हटाकर सबसे बेहतर और होनहार छात्रों को सर्वश्रेष्ठ डिजिटल मीडिया शिक्षा प्रदान करने के लिये प्रतिबद्ध हैं।

हमें इस बात की बेहद खुशी है कि मेटा, हमारे आरंभिक डिजिटल इनोवेशन स्कॉलरशिप पहल में फंड प्रदान कर हमारी सहायता कर रहा है। हमारा सारा ध्यान देश के सबसे बेहतरीन युवा प्रतिभा को अत्याधुनिक ट्रेनिंग देने और उन्हें डिजिटल मीडिया उद्योग के अनुरूप तैयार करने पर केंद्रित है।

यह छात्रवृत्ति कार्यक्रम उन प्रतिभाशाली युवा छात्रों के लिये अवसरों के नये द्वार खोल रहा है जो आर्थिक रुकावटों की वजह से सबसे बेहतर अवसरों से पीछे छूट गए थे।”
यूपीईएस स्कूल ऑफ मॉडर्न मीडिया भारत का एकमात्र डिजिटल-फर्स्ट मीडिया स्कूल है।

इसके पाठ्यक्रम-जो मीडिया क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ लोगों द्वारा डिजाइन, विकसित और वितरित किए गए हैं – छात्रों को नए जमाने की मीडिया शिक्षा प्रदान करने पर केंद्रित हैं।

यह स्कूल छात्रों को अपने अत्याधुनिक स्टूडियो, उद्योग-अनुरूप पाठ्यक्रम, प्रख्यात पत्रकारों और प्रतिष्ठित मीडिया विद्वानों के साथ बातचीत और रोजगार-संबंधी प्रशिक्षण के माध्यम से लर्निंग को व्यवहार में लाने के लिये तैयार करता है।
यूपीईएस की संस्थापना वर्ष 2003 में उत्तराखण्ड विधानसभा के यूपीईएस एक्ट, 2003 द्वारा हुई थी, यह यूजीसी से मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी है और इसे एनएएसी से ग्रेड ‘ए’ मिला है।

शिक्षा मंत्रालय के नेशनल इंस्टिट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) ने यूपीईएस को भारत में पढ़ाई के लिये टॉप 100 यूनिवर्सिटीज के बीच रैंक किया है, यूपीईएस का स्‍कूल ऑफ इंजीनियरिंग 300 संस्‍थानों में 91वें नंबर पर, स्‍कूल ऑफ बिजनेस 100 संस्‍थानों में 46वें नंबर पर और स्‍कूल ऑफ लॉ भारत के टॉप 25 संस्‍थानों में से एक है।

इस यूनिवर्सिटी को वैश्विक मान्‍यता प्राप्‍त क्‍यूएस रेटिंग से रोजगार योग्‍यता (प्‍लेसमेंट्स) में 5 स्‍टार मिले हैं और इसने पिछले कुछ वर्षों में 90% से ज्‍यादा प्‍लेसमेंट्स दिये हैं।

यूपीईएस अपने आठ स्‍कूलों के माध्‍यम से ग्रेजुएट और पोस्‍टग्रेजुएट प्रोग्राम्‍स की पेशकश करती है: स्‍कूल ऑफ इंजीनियरिंग, स्‍कूल ऑफ कंप्‍यूटर साइंस, स्‍कूल ऑफ डिजाइन, स्‍कूल ऑफ लॉ, स्‍कूल ऑफ बिजनेस, स्‍कूल ऑफ हेल्‍थ साइंसेस एंड टेक्‍नोलॉजी, स्‍कूल ऑफ मॉडर्न मीडिया और स्‍कूल ऑफ लिबरल स्‍टडीज।

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