बस्तर अंचल में लौट रही है शांति :भूपेश बघेल

दंतेवाड़। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बस्तर अचंल में पहले गोली धमाके की चर्चा आम थी, लेकिन बस्तर में शांति लौट रही है और अब यह विकास के लिए जाना जाता है।

मुख्यमंत्री  पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि बस्तर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यह भाई-चारे की जगह है। दंतेश्वरी मंदिर दशहरा मुर्गा लड़ाई के लिए प्रसिद्ध था।

बस्तर के लोग अब खून खराबे से ऊब गए हैं और शांति की तरफ लौट रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘भेंट-मुलाकात’ कार्यक्रम ने नए अनुभव दिए हैं। लोगों ने अपनी भावनाएं साझा की है।

लोगों की सोच ऊंची हुई है। राज्य सरकार प्रत्येक व्यक्ति विकास पर जोर दे रही है। बघेल ने कहा कि अब दंतेवाड़ा जिले के लोगों के जीवन में परिवर्तन महसूस हो रहा है।

यह सब व्यक्तिमूलक कामों और योजनाओ से संभव हुआ है। हमें एनीमिया के खिलाफ अभियान चलाना पड़ेगा, ताकि इसे जड़ से मिटाया जा सके। गौठानों का क्रियान्वयन पूरी शक्ति से करना होगा, इसके लिए वन विभाग को विशेष प्रयास करना होगा।

उन्होंने कहा कि नक्सल समस्या केवल पुलिस की समस्या नहीं है। इस समस्या को सबके समन्वित प्रयास से खत्म किया जाएगा। इस अंचल के अंदरूनी इलाकों तक शासन की योजनाएं पहुंच रही है। लोगों को रोजगार मिल रहा है। खेती और स्वरोजगार से लोगों जोड़ा गया, जिससे नक्सली भर्ती में कमी आई है।

उन्होंने कहा कि प्रशासन ने महुआ कलेक्शन का तरीका बदला, महुआ इंग्लैंड जाने लगा है। महुआ अब 116 रुपये में बिक रहा है। लोगों की आय में बढ़ोतरी हो रही है। कोदो, कुटकी, रागी की खरीदी की व्यवस्था को रोजगार से जोड़ने से कारखाने 7 की जगह 65 लघु वनोपज खरीद रहे हैं और उनकी प्रोसेसिंग कर रहे हैं।

अमचूर, महुआ में वेल्यु एडिशन करने से इसका भाव बढ़ा है। जिले में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। यहां के कपड़ा कारीगर अब कपड़े को ब्रिटेन अमेरिका भी भेजेंगे। इससे कारीगरों की आय में इजाफा होगा।

उन्होंने कहा कि आवागमन की सुविधा का विस्तार होने से भी रोजगार के अवसर बढ़े है,लेकिन इस पर अभी और काम करना है। 

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