इंदौर के राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी सम्मेलन से सरकार ने क्यो बनाई दूरी!

डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट

स्वतंत्रता सेनानी व उनके उत्तराधिकारियो के

दो दिवसीय इंदौर सम्मेलन में शहीद चंद्रशेखर आज़ाद, मंगल पांडे,रानी लक्ष्मी बाई,अशफ़ाक़ उल्ला खां, जगदीश प्रसाद वत्स ,उधम सिंह समेत शहीदों के लगभग बीस वंशजो की गरिमामयी उपस्थिति के बावजूद मध्यप्रदेश व केंद्र सरकार के किसी मौजूदा प्रतिनिधि का न पहुँचना अखरता रहा।

हालांकि लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन पधारी तो विधायक एवं पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा भी दो दिनों तक सम्मेलन में मौजूद रहे।एक स्वतंत्रता सेनानी तो 112 वर्ष की आयु के थे,जिन्होंने अपने संबोधन में माना कि वे देश के लिए लड़े लेकिन आज उपेक्षा से आहत है।इस सम्मेलन को इंदौर के किसी भी अखबार ने अपने यहां जगह नही दी। जिससे लगता है कि इंदौर भले ही सफाई में अव्वल हो ,लेकिन राष्ट्रभक्तो का सम्मान करने के लिए उनके पास समय नही है।न ही इस सम्मेलन के प्रति उनकी कोई रुचि दिखाई पड़ी।अलबत्ता कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने अवश्य अपना फ़र्ज निभाया।लेकिन इंदौर के अन्य 6 विधायको व एक सांसद ने देश के जीवित बचे सम्मेलन में पधारे स्वतंत्रता सेनानियों, अमर शहीदों के वंशजो से मिलना तक गंवारा नही किया।शायद वे भूल गए कि ब्रिटिश हुकूमत की दो सौ साल की गुलामी यूं ही समाप्त नही हुई थी।जिन अंग्रेजों के राज में कभी सूरज नही डूबता था ,उन्ही अंग्रेजों को भारत की बागडोर रात के अंधेरे में देश के नायकों को सौंपनी पड़ी थी।आज़ादी की लड़ाई नरम व गर्म विचारधाराओं के साथ लड़ी गई, दोनों का उद्देश्य सिर्फ ओर सिर्फ देश की आजादी था।जिसे पाने के लिए अनेक बलिदान दिए गए ,जन्मे बच्चों से लेकर युवा,प्रौढ़ और बुजुर्ग सभी आयु वर्ग के थे।इस आज़ादी और आजादी के दीवानों को याद करने के लिए पूरा देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है।जिसके लिए दो सौ करोड़ का बजट भी खर्च किया जा रहा है।लेकिन क्या वास्तव में आज़ादी के दीवानों और उनके परिजनों को अभी तक वह सम्मान मिल पाया है,जिसके वे हकदार है? स्वतंत्रता सेनानी परिवार के इस राष्ट्रीय सम्मेलन में लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि जिन शहीदों,स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की वजह से आज हम आजादी की सांस ले रहे है,उनके वंशज जब अपने पूर्वजों का परिचय देते है तो पूरा परिवार विशिष्ट हो जाता हैं।उन्होंने महात्मा गांधी के आजादी आंदोलन में योगदान को याद किया और जीवित स्वतंत्रता सेनानियों के दर्शन करके स्वयं को धन्य महसूस किया।उत्तराखंड से आए श्रीगोपाल नारसन व अशोक संधु के संचालन में आयोजित महासम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा ने स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को रेखांकित किया और कांग्रेस के नेतृत्व में चले आजादी के आंदोलन को देश की आजादी का श्रेय दिया।मुख्य वक्ता इरफान इंजीनियर ने विस्तार से आजादी की घटनाओं का जिक्र किया और बताया कि स्वतंत्रता आंदोलन में सभी वर्ग व सभी क्षेत्रों के लोगो का योगदान रहा।स्वतंत्रता सेनानी परिवार समिति के महासचिव जितेंद्र रघुवंशी ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन व पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा का सम्मान किया।सुधीर सेतिया, अजय सीतलानी ने आयोजक के रूप में अतिथियों की आगवानी की व अभिनन्दन किया।सम्मेलन में स्वामी शरद पुरी ने अपनी शुभकामनाएं स्वतंत्रता सेनानी परिवारों को दी और उनकी देशसेवा को नमन किया।सम्मेलन स्थल पर आजादी के इतिहास से जुड़ी प्रदर्शनी भी लगाई गई।सम्मेलन में स्वतंत्रता सेनानियों व उनके उत्तराधिकारियों ने अपने संबोधन में जानकारी दी कि देश मे 7 लाख स्वतंत्रता सेनानियों के 2 करोड़ उत्तराधिकारी अपना अधिकार प्राप्त करने की हैसियत रखते हैं।इस अवसर पर अमर शहीद मंगल पांडे के पुत्र रघुनाथ पांडे,शहीद जगदीश वत्स के भांजे श्रीगोपाल नारसन,हरिराम गुप्ता, नित्यानन्द शर्मा ने स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े परिवारों के सम्मान की वकालत की।स्वतंत्रता सेनानी परिवार राष्ट्रीय सम्मेलन के अंतिम दिन संगठन के राष्ट्रीय महासचिव जितेंद्र रघुवंशी ने दो दिनों के इस सम्मेलन में हुए विचार मंथन के बाद सर्वसम्मति से लिए गए निर्णयों की जानकारी दी।उन्होंने कहा देश के स्वतंत्रता सेनानियों,शहीद वंशजो व उनके उत्तराधिकारियों ने स्वयं को राष्ट्रीय परिवार घोषित करने,शहीदों व स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनी पाठ्यक्रम में शामिल करने,राज्यसभा में दो सीटें देने,केंद्र व राज्य सरकारों में संवैधानिक पदों पर सम्मान देने के प्रस्ताव पारित किए गए।मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा ने कहा कि इस भारत मे सभी को जीने का अधिकार हो,हिंदू, मुस्लिम, सिख,ईसाई आपस मे सब भाई भाई नारे को मिटाने की कोशिश की जा रहा है।आज रोजगार देने के बजाए हिजाब विवाद खड़े किए जा रहे है।आजादी का जश्न आज वे लोग मना रहे है, जिनका आजादी के आंदोलन में कोई योगदान नही रहा।आजादी से जुड़े परिवार देश चलाने की हैसियत रखते है। सम्मेलन में मौजूद सभी लोगो ने देश और तिरंगे के साथ संगठन एकजुटता की शपथ भी ली।
इस सम्मेलन में देश के स्वतंत्रता सेनानी परिवारों के हितों की रक्षा करने के लिए संघर्ष का आव्हान किया गया। इस सम्मेलन में देश भर से लगभग 50 जीवित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी,उनकी वीरांगनाओ, शहीदों के वंशजो तथा लगभग 250 स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी शामिल हुए।सम्मेलन में पारित प्रस्ताव के तहत दिल्ली में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारक की स्थापना की मांग करने के साथ ही संवैधानिक संस्थाओं में सेनानी परिवारों का मनोनयन किये जाने,स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार आयोग का गठन करने,स्वतंत्रता सेनानी परिवार को राष्ट्रीय परिवार का दर्जा देने, आर्थिक सहायता दिए जाने का प्रावधान बनाने , शैक्षणिक पाठ्यक्रम में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवनी शामिल करने की मांग की गई है।इस राष्ट्रीय सम्मेलन में स्वतंत्रता सेनानी संगठनों के प्रतिनिधियों की समन्वय समिति बनाकर इन मुद्दों पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाने की घोषणा भी की गई है।स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं उनके उत्तराधिकारियों के सम्मान की रक्षा तथा उनकी समस्याओं के निराकरण के प्रति केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा बरती जा रही उदासीनता के प्रति सरकारों को सचेत करने के लिए स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार का यह आयोजन अपने आप मे सफ़ल कहा जा सकता है। लेकिन आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान भी इस आयोजन से मध्यप्रदेश व केंद्र सरकार की दूरी समझ से परे है,इसी कारण स्वतंत्रता सेनानी व उनके परिवार सरकार से नाराज़ भी है।

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