अल्मोड़। जिला मुख्यालय में स्थित महिला अस्पताल में एनआईसीयू वार्ड न होने के चलते समय से पहले जन्म लेने वाले (प्रीमैच्योर) नवजात को इलाज की सुविधा नहीं मिल पा रही है।
वार्ड न होने से हर माह अस्पताल में पैदा होने वाले चार से पांच नवजातों को हायर सेंटर रेफर करना पड़ता है।
मुख्यालय के महिला अस्पताल में पूरे जिले की गर्भवती महिलाएं अपना इलाज कराने पहुंचे हैं।
गर्भवती महिलाओं का यहां पर प्रसव भी कराया जाता है, इनमें से कुछ मामलों में बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं।
ऐसे बच्चे दूसरे बच्चों की तुलना में अधिक छोटे और कमजोर होते हैं। इसके साथ ही जिस नवजात को दिल की बीमारी, संक्रमण या कोई अन्य जन्म दोष जैसी चिकित्सा स्थितियां होती हैं।
उनकी देखभाल के लिए भी एनआईसीयू की जरूरत पड़ती है। ऐसे बच्चों के लिए अस्पताल में नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) खोली जाती है।
इसमें स्वास्थ्य विभाग की टीम 24 घंटे नवजात की देखभाल करती है लेकिन महिला अस्पताल में इस वार्ड की सुविधा न होने से ऐसी परिस्थिति के नवजात को रेफर करना पड़ता है।
महिला अस्पताल की पीएमएस प्रीति पंत बताया कि अस्पताल में अभी नवजात शिशुओ के लिए एनआईसीयू वार्ड की व्यवस्था नहीं है। बेस अस्पताल में एनआईसीयू वार्ड है गंभीर होने पर नवजात को वहां रेफर किया जाता है।
सामान्य हालत में महिला अस्पताल में ही शिशुओं का इलाज किया जाता है। अस्पताल में एनआईसीयू वार्ड खोलने के लिए शासन को पत्र लिखा गया है।