मुंबई के डॉ. हेमंत जोशी ने दिए बच्चों की सेहत के बारे में टिप्स

देहरादून। मुंबई के बाल रोग विशेषज्ञ और बाल आरोग्य के क्षेत्र में कार्य कर रहे डॉ. हेमंत जोशी आज प्रेस क्लब कार्यालय पहुंचे।

इस मौके पर उन्होंने प्रेस क्लब सदस्यों व पत्रकारों के साथ बच्चों की देखभाल और उन्हें स्वस्थ रखने के संबंध में कई जानकारियां साझा कीं। डॉ. हेमंत जोशी मेडिकल फील्ड में हिंदी और भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए भी काम कर रहे हैं।

इसके साथ ही वे उस अभियान का भी प्रमुख हिस्सा रहे, जिसके तहत प्रसूताओं के लिए मातृत्व अवकाश तीन माह से बढ़ाकर छह माह करने का कानून बना।
डॉ. जोशी का कहना है कि वर्तमान में जिस जीवन शैली को हम अपनाए हुए हैं, वह सभी के लिए कई तरह की दिक्कतें पेश कर रही है। खासकर, बच्चों के मामले में काफी एहतियात बरते जाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि भारत के पास 10 हजार साल का ज्ञान है और बच्चों की परवरिश व उन्हें तात्कालिक उपचार देने वाले दादी-नानी के नुस्खे उसी ज्ञान स आए हैं। उन्होंने कहा कि बाल आरोग्य पर उनकी चार पुस्तकें हैं। ‘आरोग्य कथा’, ‘परवरिश की गीता’ और ‘परवरिश का जादू’, इन तीन पुस्तकों में बच्चों को बेहतर परवरिश देकर उन्हें श्रेष्ठ नागरिक बनाने के गुर दिए गए हैं। इसके अलावा चौथी पुस्तक ‘आदर्श उपचार’ नाम से है।

यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की मेडिकल गाइड का हिंदी अनुवाद है, जो बच्चों के बीमार होने की स्थिति में उनके उपचार के बारे में जानकारी देता है। डब्ल्यूएचओ की यह पुस्तक 17 भाषाओं में थी, लेकिन एक भी भारतीय भाषा में नहीं थी। इसे हिंदी और मराठी में अनुवाद किया गया है।
डॉ. जोशी ने कहा कि बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ रही है। इसके लिए जरूरी है कि उनके भोजन में मीठे की मात्रा कम से कम की जाए। चाय से परहेज किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि नेशनल ओरल हेल्थ सर्वे के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 5 साल की उम्र तक करीब 50 फीसदी और 12 साल तक की उम्र में 85 फीसदी से ज्यादा बच्चों के दांत खराब हो रहे हैं। इसलिए, जरूरी है कि बच्चों को टूथपेस्ट के बाद कम से सम एक बार नमक पानी का कुल्ला जरूर कराएं या फिर उनके दांतों को नमक से साफ करें। बच्चों के वजन और लंबाई पर नजर रखी जानी चाहिए। इसलिए, कम से कम 8 साल तक के बच्चों को अंडरवियर, जींस या टाइट पैंट नहीं पहनाई जानी चाहिए। क्योंकि, इन टाइट कपड़ों की वजह से उनकी ‘ग्रोथ’ पर असर पड़ता है। 8 साल तक बच्चे का वजन दो किलो और लंबाई दो इंच सालाना अगर बढ़ते हैं, तो ठीक है। इससे कम या ज्यादा असामान्य स्थिति है। डॉ. जोशी ने कहा कि ब्लड प्रेशर की समस्या लगातार विकराल हो रही है। आमतौर पर डॉक्टर बच्चों का बीपी चेक नहीं करते, लेकिन माता-पिता को चाहिए कि वे तीन वर्ष की उम्र से उपर के बच्चे का साल में कम से कम दो बार बीपी चेक अवश्य करें। बच्चों को दही अवश्य खिलाएं।
डॉ. जोशी ने आम लोगों को सलाह दी कि दीर्घायु के लिए मोटापा न बढ़ने दें। इससे बीपी और शूगर समेत तमाम अन्य बीमारियां जकड़ लेंगी। इसलिए, अपने भोजन में चावल या रोटी, दाल, सब्जी, सलाद व दही शामिल करें। बीच में भूख लगे, तो मौसमी फल और खीरे-ककड़ी-टमाटर आदि सलाद खाएं। मीठा और चाय या तो बिल्कुल न लें या फिर बेहद सीमित मात्रा में लें। नमक भी 3 ग्राम तक ही लेना चाहिए। हालांकि, 5 ग्राम तक भी चल सकता है, लेकिन इससे ज्यादा बिल्कुल नहीं। सप्ताह में पहले तो दिन, नहीं तो कम से कम एक दिन हर व्यक्ति को पूरी तरह उपवास करना चाहिए।
डॉ. जोशी ने लोगों का आह्वान किया कि वे उत्तराखंड को ‘शक्करमुक्त उत्तराखंड’ बनाने के लिए संकल्प लें। इसके साथ ही डॉक्टरों से पर्चे पर दवा का नाम हिंदी में लिखवाएं। अब बहुत सारी अच्छी कंपनिया दवा पर हिंदी मे नाम डालती हैं। इसलिए, सरकार को भी चाहिए कि वह हिंदी में नाम लिखी हुई दवा की ही खरीद पर जोर दे। इससे पूर्व प्रेस क्लब पहुंचने पर क्लब अध्यक्ष जितेंद्र अंथवाल, महामंत्री ओपी बेंजवाल, संयुक्त मंत्री नलिनी गोसाईं, संप्रेक्षक विनोद पोखरियाल, कार्यकारिणी सदस्य योगेश सेमवाल, राजकिशोर तिवारी, महेश पांडे, राजेश बड़थ्वाल, प्रवीण बहुगुणा, पूर्व महामंत्री गिरिधर शर्मा, क्लब सदस्य अमित ठाकुर, अवधेश नौटियाल, रमन जायसवाल, केएस बिष्ट आदि मौजूद रहे।

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