नैनीताल । नंधौर वन्य जीव अभ्यारण्य के अंतर्गत ईको सेंसटिव जोन में बाढ़ राहत के नाम पर होने वाले खनन पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने रोक जारी कर दी। उच्च न्यायालय के इस निर्णय को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ में इस मामले में सुनवाई हुई। हालांकि पीठ ने बाढ़ राहत योजना के नाम पर चल रहे कार्यों को जारी रखने के निर्देश दिये हैं।
हल्द्वानी के चोरगलिया निवासी दिनेश कुमार चंदोला की ओर से इस मामले को एक जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि नंधौर ईको सेंसटिव जोन में केन्द्र सरकार की नीति के अनुसार खनन कार्य प्रतिबंधित है लेकिन अपर नंधौर नदी में बाढ़ राहत के नाम पर खनन किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि राज्य सरकार की ओर से निजी कंपनी एपीएस इंफ्रा इंजी लि को खनन की अनुमति दी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि ईको सेंसटिव जोन में बाढ़ राहत के नाम पर सिर्फ खनिज निकर्षण किया जा सकता है और उसका निर्माण कार्यो व व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जा सकता है।
अदालत के संज्ञान में यह तथ्य भी आया कि इसके लिये केन्द्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति नहीं ली गयी है।
प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया कि यहां से निकलने वाले खनिज का उपयोग राष्ट्रीय राजमार्ग-87 के निर्माण में उपयोग किया जा रहा है।
सभी पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने इसे गंभीर मानते हुए खनन पर स्थगनादेश जारी कर दिया है। अदालत ने बाढ़ राहत के नाम पर होने वाले खनिज के निकर्षण कार्य पर रोक नहीं लगायी है। इसे जारी रखने को कहा गया है।