गोपेश्वर। फिर श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के माध्यम से इस बार बद्रीनाथ तथा केदारनाथ धामों की यात्रा संचालित होगी। इसके चलते एक बार फिर बद्री-केदार की यात्रा पुराने रंग रू प में दिखाई देगी।
बताते चलें कि पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने श्री बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री तथा यमुनोत्री धामों समेत 51 मंदिरों की व्यवस्था के संचालन का संचालन दो साल पूर्व उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के हवाले कर दिया था।
हालांकि बद्रीनाथ तथा केदारनाथ धामों समेत अधीनस्थ मंदिरों की व्यवस्थाएं 81 साल तक बीकेटीसी के द्वारा ही संचालित होती रही। गंगोत्री तथा यमुनोत्री धामों की व्यवस्था स्थानीय आधार पर गठित समितियों द्वारा ही की जा रही थी। 220 में चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अस्तित्व में आने के पश्चात गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ तथा केदारनाथ धामों की यात्रा व्यवस्था देवस्थानम बोर्ड द्वारा संचालित होती रही।
त्रिवेंद्र सरकार ने चारधाम यात्रा के लिए देवस्थानम बोर्ड का गठन कर बीकेटीसी को देवस्थानम बोर्ड में समाहित कर दिया था। इसके चलते बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री तथा यमुनोत्री समेत 51 मंदिरों की व्यवस्था बोर्ड के अधीन आ गई थी। देवस्थानम बोर्ड के अधीन संचालित हुई यात्रा व्यवस्था दो साल तक ही चली और इस दौरान चारधाम यात्रा पर कोरोना महामारी का ग्रहण लगा रहा।
पिछले साल आखिर में पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने अपनी ही पूर्ववर्ती सरकार के बोर्ड गठन के फैसले को पलट दिया। इसके बाद फिर बीकेटीसी के अस्तित्व में आते ही बद्रीनाथ तथा केदारनाथ समेत अधीनस्थ मंदिरों की व्यवस्था पुराने रंग रू प में लौट आई है।
इसी तरह यमुनोत्री तथा गंगोत्री की व्यवस्था स्थानीय समितियों के अधीन आ गई। अब जबकि 6 मई को केदारनाथ धाम तथा 8 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने जा रहे हैं तो इस बार यात्रा संबंधी व्यवस्था बीकेटीसी द्वारा संचालित की जाएगी।
गंगोत्री तथा यमुनोत्री के कपाट 3 मई को खुलने जा रहे हैं तो स्थानीय समितियों द्वारा ही पूर्ववर्ती व्यवस्थाओं के अनुरू प यात्रा संचालित की जाएगी। पिछले दो सालों तक कोरोना महामारी के चलते चारधाम यात्रा को बड़ा झटका लगा था। इस बार कुछ हद तक रफ्तार थमी है। इसलिए चारों धामों में तीर्थयात्रियों का रेला उमड़ने की उम्मीदें जगी हैं।
हालांकि देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना की चौथी लहर दस्तक दे रही है। ऐसे में बद्रीनाथ तथा केदारनाथ जैसे महत्वपूर्ण धामों की यात्रा व्यवस्था बीकेटीसी के अधीन आने से चुनौतियां भी खड़ी हो गई है। इसी तरह की चुनौतियां यमुनोत्री तथा गंगोत्री में भी हैं।
कहा जा सकता है कि यात्रा व्यवस्था को बेहतर ढंग से संचालित करने तथा कोरोना से सतर्क रह कर सुखद व निरापद यात्रा संचालित करने की दोहरी चुनौती आ खड़ी हो गई है। वैसे भी कोरोना के दो साल चारधाम यात्रा से जुड़े लोगों की आजीविका के लिए अभिशाप के रू प में सामने आए।
अब काफी संभल कर चलने की जरू रत है। ऐसा नहीं किया गया तो भविष्य के खतरे कम नहीं हैं। वैसे भी उत्तराखंड की चारधाम यात्रा पर हर साल 35 लाख से अधिक यात्री आते रहे हैं। वर्ष 2019 में अकेले बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर साढ़े 12 लाख लोग पहुंचे।
केदारनाथ धाम में भी 10 लाख करीब लोगों की आमद रही। वर्ष 2020 के कोरोना काल में बद्रीनाथ धाम में मात्र 155055 तीर्थयात्री पहुंचे। वर्ष 221 में बद्रीनाथ धाम में 197056 तीर्थयात्री ही दर्शनों को पहुंचे।
केदारनाथ धाम में 242712 लोगों ने दर्शनों का पुण्य लाभ अर्जित किया। इस तरह पिछले साल चारधाम यात्रा में 506240 तीर्थ यात्रा दर्शनों को पहुंचे। हालांकि बद्रीनाथ धाम में ही वर्ष 2016 में 654355, वर्ष 2017 में 920466, वर्ष 2018 में 1048052 तीर्थयात्रियों ने दर्शनों का पुण्य लाभ अर्जित किया।
अकेले बद्रीनाथ तथा केदारनाथ मंदिरों से ही श्रद्धालुओं से हर साल चढ़ावे के रूप में 50 करोड़ रूपए की आमद होती रही है। इसके अलावा नामी हस्तियों से करोड़ों का दान अलग से मिलता रहा है।
इस बार बद्रीनाथ तथा केदारनाथ धामों की यात्रा नए रू प रंग में नजर आएगी। इसके चलते 81 साल पुरानी व्यवस्था के फिर लौट आने से मौजूदा चुनौतियों से निपटना बीकेटीसी के सम्मुख किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होगा।