बाल श्रम से मुक्त कराए बच्चों का आयोग ने जिलाधिकारी को नोटिस जारी कर रिपोर्ट उपलब्ध कराने का दिया आदेश
नेहरू कॉलोनी निवासी छात्रा सृष्टि ने मानव अधिकार आयोग को लिखा था पत्र
देहरादून। प्रशासन की ओर से बाल श्रम को रोकने के लिए लगातार कार्रवाई की जाती है। बाल श्रम करने वाले नाबालिग बच्चों को दुकानों से मुक्त करने के बाद बच्चों के लिए प्रशासन क्या व्यवस्था करता है। इसका कोई पता नहीं होता।
नेहरू कालोनी निवासी स्कूली छात्रा सृष्टि ने मानव अधिकार आयोग में एक पत्र प्रेषित कर बाल श्रम से पिछले तीन सालों में मुक्त कराए बच्चों का विवरण और उनके उद्वार के लिए किए गए कार्यों के बारे में प्रशासन से सूचना मांगने की मांग की है।
मानव अधिकार आयोग के सदस्य राम सिंह मीना स्कूली छात्रा की ओर से उठाए गए मामलों को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी देहरादून को नोटिस जारी कर अपनी आख्या आयोग के समक्ष दाखिल करने के आदेश दिए है।
सृष्टि की ओर से मानव अधिकार आयोग को दिए पत्र में कहा गया कि देहरादून के बाजारों आदि में बाल श्रम कराने पर दुकानदारों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई तथा बच्चों को दुकानों से मुक्त कराने संबंधी कार्रवाई की सूचना मीडिया के माध्यम से पता लगती रहती हैं।
लेकिन मुक्त करवाए गए बच्चों के उद्धार, उनके खाने की समस्या, उनकी मदद तथा उनके उद्धार से संबंधी कोई जानकारी मीडिया आदि में प्रकाशित नहीं होती। यह बहुत ही ज्वलंत एवं गंभीर समस्या हैं। उन्होंने बताया कि जिन बालकों को मुक्त कराया जाता है उनके बारे में क्या यह पता किया जाता है कि उसका घर परिवार कैसे चल रहा है।
उन्हें मुक्त कराने के बाद उनके खाने रहने आदि की व्यवस्था क्या की गई है। क्योंकि कहीं बेघर बच्चे भी दुकानों में काम करते होंगे। उन्होंने कहा यह एक बहुत ही गंभीर समस्या है।
इसलिए कम से कम पिछले तीन वर्षों में कितने बच्चों को बाल श्रम करने से मुक्त कराया गया तथा उन बालकों के उद्धार, उनके खाने आदि की समस्याओं के संबंध में विभाग की ओर से क्या कार्रवाई की गई। मुक्त करवाए गए बच्चे किस मजबूरी के कारण बाल श्रम करने पर मजबूर थे। सभी बिंदुओं पर समस्त जानकारी संबंधित विभाग से मंगवा कर मुक्त करवाए गए बच्चों के संबंध में जल्दी से जल्दी कार्रवाई की जाए।