उत्तरकाशी। जिले के जंगलों में आग लगने की सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक सप्ताह पहले बारिश होने से हालांकि जंगलों में लगी आग काफी हद तक बुझ गई थी,लेकिन अब दो-तीन दिनों से फिर से वन आंग से सुलगने शुरू हो गये है।
मुखेम रेंज और बाड़ाहाट रेंज समेत कई क्षेत्र के जंगलों में दो दिन से आग लगी हुई। बावजूद वन विभाग आग को बुझाने के लिए कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर रहा है,जिससे विभागीय कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है।
गर्मी के दस्तक देने से जिले की गंगा और यमुना घाटी के जंगलों में आग लगनी शुरू हो गई थी। आग से दर्जनों हेक्टेयर में लाखों की वन संपदा जलकर नष्ट हो गई। वन्य जीवों का अस्तित्व भी खतरे भी पड़ गया था।
जिले के अधिकांश क्षेत्र के जंगलों में आग लगने से स्थिति भयावह होने से वन विभाग के आला अफसरों के साथ ही प्रशासन के अधिकारी भी हैरान हो गये थे। चारों तरफ धुआं फैलने से आम लोगों का जीना दूभर हो गया था।
इस बीच एक सप्ताह पूर्व अचानक मौसम के करवट बदलने से बारिश की बौछार होने से हालांकि ज्यादातर क्षेत्र के जंगलों में लगी आग काफी हद तक बुझ गई थी,लेकिन दो-तीन दिनों से फिर से जंगलों ने सुलगना शुरू कर दिया है।
दो दिनों से मुखमे रेंज में कुट्टेअी देवी के उपरी क्षेत्र का जंगल जलता आ रहा है। इसी तरह बाड़ाहाट रेंज के ज्ञाणजा क्षेत्र के जंगलों में भी आग लगी हुई। अन्य कई क्षेत्र के जंगल भी धूधकर जलने लग गये है। बावजूद वन विभाग आग को बुझाने के लिए कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर रहा है।
वनों को आग से बचाने के लिये विभाग की ओर से फायर सीजन से समय अपनी तैयारियों के प्रति खूब हो हल्ला मचाया जाता है,लेकिन जब वनों में आग लगनी शुरू होती है तो ये तैयारी धरी की धरी रह जाती है।
इसके साथ ही वनों को आग से बचाने के लिये अनाप-शनाप तरीके से लाखों रुपये की धनराशि भी खर्च की जाती है,जिसका कोई फायदा मिलता नहीं दिखता है। जिले के जंगल अब भी जलता रहे है।
वन विभाग हालांकि आग पर जल्द काबू करने का दावा कर रहा है,लेकिन जो हालत बने है,उससे लगता नहीं कि विभाग वनों को आग से बचा पायेगा।