गोपेश्वर। कोरोना की चौथी लहर की आशंका के चलते सरकार के सामने अब चारधाम यात्रा को लेकर दोहरी चुनौती आ खड़ी हो गई है। दरअसल 2 साल तक कोरोना की महामारी के चलते उत्तराखंड की चारधाम यात्रा के ठप्प पड़ जाने से यात्रा से जुड़े लोगों की आर्थिकी को गहरा झटका लगा है।
इससे लोग संकट से अभी तक भी नहीं उबर पाए हैं और बैंकों के ऋण के जंजाल में बुरी तरह फंसे पड़े हैं। कोरोना की रफ्तार धीमी पडऩे के कारण मौजूदा साल में चारधाम यात्रा के परवान पर चढऩे की उम्मीदें जग गई थी।
इसके चलते राज्य सरकार से लेकर जिला प्रशासन तक यात्रियों के तीर्थ धामों में उमड़ने वाले रेले को लेकर तैयारियों में जुटी है। इस बीच अब देश के विभिन्न भागों में कोरोना की दस्तक एक बार फिर शुरू हो गई है।
कोरोना की दस्तक के चलते तीर्थयात्रा से जुड़े कारोबारी एक बार फिर चिंता में डूबने लगे हैं। यूपी तथा नई दिल्ली में कोरोना के मामलों में आ रही तेजी से उत्तराखंड के लोगों की पेशानी पर भी बल पडने लगा है।
वैसे भी कोरोना की रफ्तार धीमी पडऩे से बढती गर्मी के साथ पडोसी राज्यों से बड़ी संख्या में पर्यटक उत्तराखंड आने लगे थे। यही वजह है कि मसूरी, ऋषिकेश तथा देहरादून में वीकेंड पर पर्यटकों का जमावड़ा लगने लगा था। इसके चलते चारधाम यात्रा के परवान चढऩे की उम्मीदें जगने लगी थी।
यही वजह है कि होटल समेत तमाम यात्रा से जुड़े कारोबारी तैयारियों में जुटने लगे हैं। अब सरकार के सामने बड़ी संख्या में आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए सिर्फ व्यवस्थाएं जुटाने की चुनौती नहीं रह गई है अपितु कोरोना की चौथी लहर की संभावना के चलते इससे निपटने के लिए दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है।
हालांकि उत्तराखंड में भी 16 अप्रैल को एक मात्र कोविड का मामला आया था। इसके बाद 17 को 8 मामले आए। 18 को 9 और 19 अप्रैल को 12 मामले कोविड के आए हैं। हालांकि कोविड की धीमी रफ्तार के चलते राज्य सरकार ने गाइडलाइन में पूरी तरह ढील दे दी थी।
इस ढील के चलते राज्य के भीतर और बाहर से आने वाले लोग मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाने से भी तौबा कर गए हैं। तीसरी लहर की रफ्तार थमने के बाद पर्यटन कारोबारियों तथा यात्रा पर आश्रित व्यवसायियों ने राहत की सांस ली थी कि चौथी लहर की आशंका ने सबको चिंता में डुबो दिया है।
हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कोरोना बचाव के लिए प्राथमिकता के लिए काम करने का भरोसा दिया है। इसके बावजूद बाहरी राज्यों से आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को लेकर लोगों की चिंता बढऩी स्वाभाविक है। वैसे भी उत्तराखंड की आर्थिकी भी तीर्थाटन और पर्यटन पर ही टिकी है।
बीते 2 साल से तीर्थयात्रा के थमने से कारोबारी गतिविधियां चौपट्ट होकर रह गई हैं और लोग बैंकों के ऋ णों के जंजाल से उबर नहीं पा रहे हैं। इस साल तो हालात इस कदर सुखद दिखाई दे रहे थे कि पर्यटक आवास गृहों से लेकर होटल, धर्मशालाओं और गेस्ट हाउसों की बुकिंग पहले ही फुल हो चुकी है।
ऐसे में कोरोना की चौथी लहर की आशंका के सिर उठाने से लोगों की उम्मीदें चिंता में डूबने लगी है। अब देखना यह है कि सरकार इस दोहरी चुनौती से किस तरह के कदमों के साथ निपटती है। इस पर ही चारधाम यात्रा का भविष्य निर्भर करेगा।