देहरादून। पूर्व सीएम व वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने डा. धन सिंह रावत के द्वारा पर्वतीय क्षेत्र में निजी स्कूल खोलने के लिए सुविधाएं देने की बात का स्वागत किया है और उन्हें शाबासी भी दी है। हालांकि रावत ने यह भी कहा है कि धन सिंह रावत का कोई काम उन्हें शाबाशी के लायक नहीं दिखता।
रावत ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि पहाड़ों में निजी स्कूल खोलने के लिये भूमि और उच्च सुविधाएं देने की बात उन्होंने कही है, उसके लिये मैं उन्हें शाबाश कहूंगा। उन्होंने खुद यह प्रयास वर्ष 2015-16 में किया था और इस तरीके की लीज पर जमीन देने का प्रयास किया था।
पर्वतीय व ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षण संस्थाओं व चिकित्सालयों को स्थापित करने के लिए आगे आने वाले लोगों को हमने सरकारी जमीन 33 साल की लीज पर और निजी जमीन उन्हें खरीदने की अनुमति देने की बात कही थी और इसके लिये एक पॉलिसी जिसको हमने लीजिंग पॉलिसी कहा था वो तैयार की और उस लीजिंग पॉलिसी में ऐसे खुलने वाले विद्यालयों या शिक्षण संस्थाओं के लिये हमने 30 प्रतिशत सीटें राज्य के लोगों के लिये और 10 प्रतिशत सीटें निकटवर्ती क्षेत्रों के लोगों के लिये आरक्षित करने का प्रावधान रखा और यह भी प्रावधान किया गया है कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थानीय लोगों को भी रखा जायेगा।
रावत ने कहा है कि इस पॉलिसी के तहत पोखर में एक विश्वविद्यालय, सतपुली के ऊपर एक पॉलीटेक्निक और नैनीसार अल्मोड़ा में एक नामचीन प्राइवेट स्कूल आया था। नैनीसार को लेकर विरोध पैदा हो गया, विवाद हाई कोर्ट तक गया है।
आज भी मामला लंबित है। बल्कि एक तकनीकी विश्वविद्यालय अल्मोड$ा आना चाहता था, वो जगह इत्यादि देखकर के भी गये थे। मगर नैनीसार को लेकर जो विवाद खड़ा हुआ उसके बाद अल्मोड़ा के अन्दर तकनीकी विश्वविद्यालय खोलने का निर्णय बदल दिया।
रावत ने कहा है कि यदि आज की सरकार ऐसा कोई प्रयास करती है तो लीजिंग पॉलिसी आदि बनकर के तैयार है वे समझते हैं कि ग्रामीण अंचल के उच्च पहाड़ी क्षत्रों से पलायन का एक बड़ा कारण, उचित शिक्षण संस्थाएं न होना और अच्छे चिकित्सालय न होना भी रहा है।
यदि निजी क्षेत्र शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में आता है तो प्रोत्साहन देना राज्य के हित में है। इसलिये कभी-कभी न चाहते हुये भी शाबाश कहना पड़ता है। उन्होंने कहा है कि यदि धन सिंह इस आइडिया को क्रियान्वित कर पाते हैं तो वे उन्हें जरूर शाबाशी देंगे।