उम्मीदों पर खरे उतरे धामी

प्रदेश की कई योजनाएं भी अधर में हैं। इसके पीछे मूल वजह पिछले पांच सालों में बार-बार मुख्यमंत्रियों में हुए बदलाव को भी माना जा रहा है। यह अलग बात है कि मुख्यमंत्रियों को बदले जाने से भाजपा की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा है लेकिन विकास तो निश्चित रूप से प्रभावित हुआ है। अब उम्मीद की जानी चाहिए कि मुख्यमंत्री पूरे पांच साल तक अपना काम करेंगे…

रणविजय सिंह

उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में एक बार फिर से भाजपा की सरकार सत्ता पर काबिज हो गयी है। इस सरकार के सामने विकास के लिए अब पूरे पांच साल हैं। इस दरमियान ही भाजपा की सरकार को विकास कार्य करने होंगे। खासकर वे विकास के कार्य जो पिछले पांच सालों में अब तक या तो अधूरे पड़े हुए हैं या फिर शुरू ही नहीं हो पाए हैं।

इसके अलावा वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कार्य करने होंगे। मतलब केंद्र की सारी योजनाओं को जिनमें से अधिकतर शिथिल पड़ी हुई हैं उन्हें तत्काल प्रभाव से पटरी पर लाने की दिशा में प्रयास करने होंगे। क्योंकि विशेषज्ञ यह मान कर चल रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की वजह से ही उत्तराखंड में भाजपा की सरकार की वापसी हुई है और सारे मिथक भी धराशाई हुए हैं।
पुष्कर सिंह धामी विधानसभा चुनाव भी खटीमा से हार गए, उसके बावजूद भाजपा हाईकमान ने धामी पर विश्वास जताया है और उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाया है। भारतीय इतिहास की यह पहली चौंकाने वाली घटना है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। मतलब साफ है कि भाजपा हाईकमान खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पुष्कर सिंह धामी पर अटूट विश्वास जताया है।

तभी तो पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री दोबारा बनाए गए हैं। अब पुष्कर सिंह धामी को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष यह साबित करना होगा कि वे उत्तराखंड को विकास के शिखर तक पहुंचाएंगे। इस दिशा में धामी और उनकी टीम को दलगत राजनीति से अलग होकर प्रदेश हित में विकास कार्यों को अंजाम देने होंगे। विकास भी तभी संभव है जब उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

इस दिशा में धामी सरकार को पॉजिटिव पहल करनी होगी। सरकार को सबसे पहले राज्य पोषित और केंद्र पोषित योजनाओं को मजबूती प्रदान करने की कोशिश करनी होगी। केंद्र की कई ऐसी योजनाएं हैं जो धन के अभाव में लचर हो रही हैं। इसका अर्थ यह कदापि नहीं लगाना चाहिए कि केंद्र फंड नहीं दे रहे हैं, बल्कि अफसरों की कमजोर पहल से ही सब कुछ शिथिल हुआ है।

नौकरशाही को और ज्यादा एक्टिव होना होगा, ताकि केंद्र में उत्तराखंड की फाइलें अटके नहीं। नौकरशाही लगातार दबाव बनाएगी तभी जाकर केंद्रीय अफसर भी हरकत में आएंगे। इस दिशा में नौकरशाही को सक्रिय करने की कोशिश करनी होगी। इसके अलावा नौकरशाही को भी इस दिशा में प्रयास करना होगा कि राज्य हित में बनने वाली केंद्र पोषित योजनाएं पहाड़ के मिजाज से बने।

क्योंकि मैदान को ध्यान में रखकर बनने वाली योजनाएं पहाड़ में कारगर नहीं हो पाती हैं। इसलिए उत्तराखंड की भौगोलिक हालात को ध्यान में रखकर योजनाओं को अंतिम रूप दिया जाना आवश्यक है। तभी जाकर उत्तराखंड का चहुंमुखी विकास संभव हो पाएगा।
प्रदेश की कई योजनाएं भी अधर में हैं। इसके पीछे मूल वजह पिछले पांच सालों में बार-बार मुख्यमंत्रियों में हुए बदलाव को भी माना जा रहा है। यह अलग बात है कि मुख्यमंत्रियों को बदले जाने से भाजपा की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा है लेकिन विकास तो निश्चित रूप से प्रभावित हुआ है। अब उम्मीद की जानी चाहिए कि मुख्यमंत्री पूरे पांच साल तक अपना काम करेंगे। और अपनी प्लानिंग से उत्तराखंड की जनता को खुश करेंगे।

साथ ही, प्रदेश विकास के नए स्तर को छुएगा। ऊर्जा, आयुष और पर्यटन ऐसे क्षेत्र हैं जहां सही तरीके से काम किया जाए तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था सशक्त हो सकती है। लेकिन इसके लिए बेहतर प्लानिंग की जरूरत है जो आज तक नहीं हो पाई है। इन मंत्रालयों को ठीक किया जाए तो उत्तराखंड पर कर्ज का बोझ कम किया जा सकता है। वरना कर्ज यूं ही बढ़ता चला जाएगा।

धामी के सामने और भी कई तरह की चुनौतियां हैं। निश्चित रूप से धामी को भी पता होगा और वे निपटने के लिए अपनी रणनीति भी बना चुके होंगे। फिलहाल, अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी टीम को पूरी ताकत के साथ उत्तराखंड की विकास योजनाओं को संचालित करने के लिए एक ईमानदार प्रयास करने होंगे।
उत्तराखंड नया राज्य है और इसके विकास के लिए सभी को संयुक्त रूप से प्रयास करने होंगे। यदि वाकई प्लानिंग बनाकर काम किया जाए तो उत्तराखंड के चहुंमुखी विकास का सपना पूरा हर हाल में संभव है। कोई भी ताकत इसे रोक नहीं सकती है। अब धामी सरकार उत्तराखंड की सत्ता में है। उम्मीद की जानी चाहिए कि यह सरकार उत्तराखंड के लोगों के हित में काम करेगी।

खासकर, सरकार लोगों की आस्था को और ज्यादा सशक्त करेगी क्योंकि प्रदेश के लोगों ने काफी सोच समझ कर ही भाजपा को एक बार फिर से सत्ता सौंपी है। हां, नौकरशाही को भी प्रदेश हित में कार्य करनी चाहिए। नौकरशाही को कोई भी विभाग मिले उसे तो प्रदेश के विकास को ध्यान में रखकर ही योजनाओं को अमली जामा पहनाने की कोशिश करनी चाहिए।

हम सभी का लक्ष्य विकास ही है। यह कैसे होगा, आम जनता को इससे कोई लेना-देना नहीं है। बस, लोगों को इंतजार है कि सरकार विकास को ध्यान में रखकर ही अपना काम करेगी। साथ ही, प्रदेश में खुशहाली भी आएगी।

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