देहरादून। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर उत्तराखंड स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (यूसीओएसटी) ने यूपीईएस स्कूल ऑफ कंप्यूटर साइंस में सिस्टेमिक्स विभाग की प्रमुख और प्रोफेसर डॉ. नीलू ज्योति आहूजा और यूपीईएस स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में सस्टेनेबिलिटी क्लस्टर की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कंचन देवली बहुखंडी का शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान लिए सम्मानित किया । यूसीओएसटी ने डॉ. नीलू ज्योति आहूजा को कंप्यूटर साइंस में लीडिंग वूमन रिसर्चर अवार्ड 2022 से भी सम्मानित किया।
दोनों प्रोफसर्स ने विभिन्न कार्यक्षेत्रों के अंतर्गत शोध में सरकार द्वारा प्रायोजित कई परियोजनाएं सफलतापूर्वक पूरी की हैं, जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एप्लीकेशंस, इंटेलिजेंट ट्यूटरिंग सिस्टम्स, दिव्यांग बच्चों को समझने के लिये प्रौद्योगिकी द्वारा मध्यस्थताएं, ठोस कचरे का प्रबंधन, पानी की गुणवत्ता का मूल्यांकन, उत्तराखण्ड के ग्रामीण क्षेत्र में उत्पाद की पहुँच और उपभोग की पद्धति, आदि।
बतौर एक शिक्षिका, शोध और अपस्किलिंग के महत्व पर जोर देते हुए डॉ. आहूजा ने कहा, शिक्षा की कमियों को केवल शोध से दूर किया जा सकता है। निजी तौर पर यह मेरे लिये हमेशा प्रोत्साहक, अत्यंत रोचक और फायदेमंद रहा है। एक शिक्षिका होने के नाते मुझे निरंतर अपस्किलिंग पर पक्का भरोसा है। इसी से कक्षा और विद्यार्थियों तथा टीम के साथी सदस्यों के जीवन में महत्व बढ़ता है।
डॉ. बहुखंडी ने कहा, नई युक्तियों और नवाचारों की खोज में शोध एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे हमारा ज्ञान उन्नत होता है, जिसे हम एक संवहनीय राष्ट्र के निर्माण के उद्देश्य से असल दुनिया की परिस्थितियों में प्रयोग करते हैं। यूपीईएस ने हमेशा विद्यार्थियों और शिक्षकों को शोध परियोजनाओं के लिये प्रोत्साहित किया है और हम खोजपरक टेक्नोलॉजीस विकसित करने के लक्ष्य से कई नई युक्तियों पर काम कर रहे हैं।
डॉ. आहूजा एक सक्रिय शोधकर्ता हैं और 2010 में उन्हें भूकम्पझ्रसम्बंधी डाटा की व्याख्या के लिये एक प्रतिमान नियम-आधारित विशेषज्ञ प्रणाली विकसित करने के लिये डॉक्टरेट मिला था।
2010 से 2017 तक उन्होंने कंप्यूटिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट के शोध केन्द्र का नेतृत्व किया था और अंतर्विषयक शोध एवं शोध गतिविधियों के समन्वय का जिम्मा संभाला था। डॉ. आहूजा ने पिछले 7 वर्षों में सरकार द्वारा वित्तपोषित 1.5 करोड़ रूपये की शोध एवं विकास परियोजनाओं का सफलतापूर्वक निष्पादन किया है और उनके 60 से ज्यादा शोध प्रकाशन हैं।
डॉ. बहुखंडी को देहरादून में सतही भूमिगत जल की गुणवत्ता पर अध्ययन के लिये 2011 में डॉक्टरेट मिला था। वे 40 से ज्यादा शोधपत्र, 19 किताबी अध्याय और दो संपादित किताबें प्रकाशित कर चुकी हैं। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में 38 शोधपत्र भी प्रस्तुत किये हैं।
शोध से ज्ञान का रास्ता खुलता है और उच्च शिक्षा को बढ़ावा मिलता है। यूपीईएस ने सुनिश्चित किया है कि यूनिवर्सिटी के शैक्षणिक दल में विद्वान और उत्साही शोधकर्ता शामिल हों।
यूपीईएस ने शोध को मजबूती देने और शिक्षकों तथा विद्यार्थियों के लिये एक आदर्श वैज्ञानिक वातावरण को बढ़ावा देने की दिशा में काम किया है, जिन्होंने अपनी विशेषज्ञता, कड़ी मेहनत और दृढ़ता से उल्लेखनीय खोजें की हैं, जिससे यूनिवर्सिटी के शैक्षणिक कौशल को मजबूती मिली है।