देहरादून। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संगठन और आल इंडिया बैंक आफिसर्स एसोसिएशन के आह्वान पर दो दिवसीय बंद का व्यापक असर देखने को मिला। प्रदेश में भारतीय स्टेट बैंक और बैंक आफ बड़ौदा को छोड़ कर, प्रदेश के अधिकतर बैंककर्मी, डाक कर्मी, आशा कार्यकर्ता, बीमा कर्मी हड़ताल पर रहे।
निजीकरण और कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में ब्याज की कटौती सहित विभिन्न मांगों को लेकर सेंट्रल ट्रेड यूनियन के दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल के समर्थन में राज्य के देहरादून, हल्द्वानी, हरिद्वार, अल्मोड़ा, मसूरी, पिथौरागढ़, पौड़ी, कोटद्वार आदि शहरों में ट्रेड यूनियनों से जुड़े कर्मचारियों ने हड़ताल कर प्रदर्शन किया।
हड़ताल में एसबीआई की यूनियन शामिल नहीं होने के कारण उसकी सभी शाखाएं खुली रहीं, जबकि बैंक आफ बड़ौदा में हड़ताल का मिला-जुला असर देखने को मिला।
बैंक आफ बड़ौदा में कुछ कर्मचारी यूनियन एआइबीईए और एआइबीओए से संबंद्ध है, जबकि कुछ यूनाइटेट फोरम आफ बैंक यूनियनंस से संबंद्ध हैं। ऐसे में वहां कुछ अधिकारी-कर्मचारी काम करते रहे। इससे वित्तीय वर्ष के अंतिम माह के महत्वपूर्ण अंतिम दिनों में हो रही इस हड़ताल का प्रभाव सरकारी विभागों के लेनदेन पर अधिक प्रभावी नहीं हुआ।
देहरादून में असले हॉल स्थित पंजाब नेशनल बैंक के बाहर केंद्र की कर्मचारी विरोधी नीतियों के विरोध में ट्रेड यूनियन नेताओं और कार्यकर्ताओं ने धरना दिया और प्रदर्शन किया।
उत्तरांचल बैंक इम्प्लाइज यूनियन देहरादून के संयुक्त सचिव विनय शर्मा ने बताया कि बैंकों के निजीकरण का विरोध, पुरानी पेंशन बहाली, संविदा कर्मियों को नियमित करने, आउटसोर्सिंग को बंद करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर देशव्यापी हड़ताल को सफल बनाने के लिए बैंक कर्मचारी हड़ताल पर है।