भंडारी व धामी का सीएलपी पर दावा, कांग्रेस के भीतर बढ़ी रार
धामी ने गोदियाल को फिर से अध्यक्ष बनाने का दिया सुझाव
- चार कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति पर उठाये सवाल
- धामी बोले, गोदियाल को नहीं करने दिया गया काम
देहरादून। चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस में आपसी खींचतान तेज हो गयी है। इसी कड़ी में गढ़वाल के राजपूत नेता राजेन्द्र सिंह भंडारी ने नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर अपना दावा किया है। भंडारी ने यह बात प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव व चुनावी समीक्षा के लिए भेजे गये राष्ट्रीय महामंत्री अविनाश पांडेय के समक्ष पुरजोर तरीके से रखी है।
उत्तराखंड की सबसे प्रभावशाली माने जाने वाली गढ़वाल लोकसभा सीट से भंडारी अकेले ऐसे कांग्रेस प्रत्याशी हैं जो जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। सूत्रों का कहना है कि भंडारी ने गढ़वाल सीट के राजनीतिक महत्व को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर दावा जताते हुए कहा है कि यह पद गढ़वाल क्षेत्र के नेता को देने से कांग्रेस को राजनीतिक फायदा भी होगा। कांग्रेस के भीतर सीएलपी को लेकर झगड़े तेज होने की आशंका बन रही है।
चकराता के विधायक प्रीतम सिंह पिछले सीएलपी लीडर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस की करारी हार के चलते पार्टी प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल का इस्तीफा ले चुकी है और एक तरह से सामूहिक जिम्मेदारी मानते हुए पार्टी के भीतर से ही आवाज उठ रही है कि हार के लिए सिर्फ गोदियाल को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता। इसके लिए यदि दोषी है तो प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही सीएलपी लीडर, चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्षगणों के साथ प्रभारी व सह प्रभारी सभी सामूहिक रूप से जिम्मेदार हैं।
ऐसे में सबकी जिम्मेदारियां वापस ली जानी चाहिए। हालांकि सह प्रभारी दीपिका पांडे सिंह ने हार के तुरंत बात अपना इस्तीफा दे दिया था और सोनियां गांधी के निर्देश के बाद सभी राज्यों के अध्यक्षों के साथ गणेश गोदियाल ने भी इस्तीफा दे दिया था, लेकिन कार्यकारी अध्यक्षों, प्रभारी व नेता प्रतिपक्ष की ओर से एेसी कोई पहल नहीं हुई। पार्टी के भीतर उठ रही इन आवाजों को देखते हुए यह तय है कि अगले सीएलपी लीडर के लिए कांग्रेस के भीतर रार बढऩे वाली है।
मालूम हो कि धारचूला के विधायक हरीश धामी ने भी पिछले दिनों सीएलपी लीडर के पद पर दावा किया है। हरीश धामी ने तो इसके लिए बाकायदा यह भी सुझाव दिया है कि गोदियाल को फिर से अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष बनाकर गोदियाल की राजनीतिक रूप से हत्या की गई। वह अध्यक्ष नहीं बनते तो विधायक निर्वाचित होते।
उन्होंने गोदियाल को दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनाने की पैरवी की। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मीडिया से बातचीत में विधायक हरीश धामी ने प्रदेश अध्यक्ष पद से गणेश गोदियाल के इस्तीफे पर तीखी प्रतिक्रिया जताई। उन्होंने कहा कि गोदियाल ने उत्साह के साथ कार्य किया है। ऐसा प्रदेश अध्यक्ष पार्टी को नहीं मिलेगा। गोदियाल के साथ प्रदेश में चार कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति किये जाने को उन्होंने सवालों के घेरे में लिया। धामी ने साफ कहा कि चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर गोदियाल को सही तरीके से काम नहीं करने दिया गया। धामी ने यह भी कहा कि गोदियाल के साथ पार्टी के सभी पदाधिकारियों से इस्तीफा लेना चाहिए था। धामी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को लालकुआं सीट से चुनाव लड़कर कांग्रेस ने उन्हें बालिका वधू बना दिया।