देहरादून। दून विश्वविद्यालय में बृहस्पतिवार को भारत के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत की जयंती के अवसर पर एक स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया जिसकी थीम “सीमांत सुरक्षा: राष्ट्रीय सुरक्षा” थी।
इस कार्यक्रम का विषय परिचय दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान दून विश्वविद्यालय के एनसीसी क्रेडिट के द्वारा रक्तदान कैंप का आयोजन किया गया जिसमें विद्यार्थियों, कर्मचारियों एवं शिक्षकों के द्वारा लगभग 150 यूनिट रक्तदान किया गया।
रक्तदान करने में विद्यार्थी बहुत ही उत्साहित थे ।उनका कहना था कि प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत जी ने देश के लिए अपनी जान को न्योछावर किया है और आज उनकी जयंती पर हम रक्तदान करके बहुत से जरूरतमंद लोगों के जीवन को बचाने का काम करेंगे।
इस खास मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने संबोधन में कहा कि 8 दिसंबर का दिन उत्तराखंड के लिए बहुत दुर्भाग्य जनक था। उस दिन भारत ने एक दूरदर्शी और अनुभवी योद्धा को खो दिया। दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल के द्वारा प्रथम सीडीएस बिपिन रावत के जन्मदिवस पर व्याख्यानमाला का शुभारंभ किया जाना अत्यंत प्रशंसनीय है।
क्योंकि विपिन रावत जैसे व्यक्तित्व के बारे में जितनी चर्चा की जाएगी उससे आने वाली पीढ़ियां सदैव प्रेरणा लेती रहेगी। जब कोई समाज अपने योद्धाओं को भूल जाता है तो वह शीघ्र ही नष्ट हो जाता है। जो पहल इस व्याख्यानमाला के रूप में, दून विश्वविद्यालय में शुरू हुई है, उससे यह बात निश्चित है की संपूर्ण विश्व विपिन रावत जी के कार्यों को सदैव स्मरण रखेगा और उनसे प्रेरणा लेता रहेगा।
मुझे बिपिन रावत जी के साथ रहने का अवसर मिला और मुझे ज्ञात हुआ कि उन्हें अपने उत्तराखंड के लिए विशेष प्रेम था और वह यहां की उन्नति के लिए सदैव सोचते रहते थे उनका मानना था कि किसी भी देश का निर्माण वहां के भौतिक संसाधनों के साथ-साथ सांस्कृतिक संसाधनों को विकसित करने से भी होता है।
लेफ्टिनेंट जनरल जयवीर सिंह नेगी ने कहा कि जनरल रावत का जीवन उत्तराखंड के लिए प्रेरणा स्रोत रहेगा उन्होंने करीब 43 वर्ष सेना की सेवा की और सी डी एस के तौर पर उन्होंने तीनों सेनाओं का नेतृत्व किया। उनके काम करने का तरीका बहुत ही प्रोफेशनल, डायनामिक, कर्तव्यनिष्ठ और प्रतिबद्धता से पूर्ण था। वह बहुत ही ईमानदार व्यक्ति थे। 16 मार्च 1958 को जन्मे जनरल रावत उच्च कोटि के रणनीतिकार थे अपने सेवाकाल में उन्हें सेना के बहुत से पद को से नवाजा गया एवं मरणोपरांत उन्हें पद्म विभूषण दिया गया।
उत्तराखंड की क्षेत्रीय संस्कृति से उन्हें विशेष प्रेम था। चार धाम योजना में जो सड़क निर्माण हुआ उससे वह बहुत आशान्वित थे।
ब्रिगेडियर शिवेंद्र सिंह ने बताया कि 1971 के भारत-पाक युद्ध का प्रभाव युवा विपिन रावत जी पर पड़ा और उन्होंने सेना में भर्ती होने का मन बनाया। आर्मी के अपने कोर्स के दौरान वह बहुत ही समर्पित क्रेडिट के तौर पर चिन्हित किए गए।
दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए सर्वप्रथम प्रथम सीडीएस के परिवारजनों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि दून विश्वविद्यालय के लिए बहुत गर्व का विषय है कि हम प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत की जयंती मना रहे हैं। प्रथम सीडीएस बिपिन रावत न केवल संपूर्ण भारत वल्कि विशेष तौर पर हम उत्तराखंड के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहे हैं उनका उत्तराखंड मूल का होना हमें गौरवान्वित महसूस कर आता है।
उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए देश सदैव उनका ऋणी रहेगा। राष्ट्रीयता की भावना एवं राष्ट्र के लिए अपने प्राण न्योछावर कर देने की ललक सदैव से ही उत्तराखंड वासियों के रक्त में रही है और प्रथम सीडीएस जनरल विपिन रावत ने भी उसी क्रम में राष्ट्र की सेवा करते हुए अपने प्राण न्योछावर किया। रावत जी युद्ध क्षेत्र के विशेषज्ञ के तौर पर जाने जाते थे क्योंकि उन्होंने बहुत से ऑपरेशंस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. राष्ट्रहित के मुद्दों पर वह परख तरीके से अपनी राय को रखते थे।
सेना के आधुनिकरण के लिए उन्होंने बहुत से कार्य किए।इसी क्रम में एडीजी मनोज रावत (आइटीबीपी), डॉ बीके दास निदेशक आईआरडीई, एडमिरल ओ पी एस राणा, प्रोफेसर एमटीएस बिष्ट ने प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत के व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों के बारे में अपने विचार व्यक्त किए और उनसे जुड़े संस्मरण साझा किये।
इस कार्यक्रम का संचालन प्रो एचसी पुरोहित (डीएसडब्ल्यू) के द्वारा किया गया। दून विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ एम एस मंद्रवाल ने सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस कार्यक्रम में प्रोफेसर आरपी ममगईं, लेफ्टिनेंट जनरल आनंद सिंह रावत प्रोफ़ेसर कुसुम अरुणाचलम, प्रोफेसर हर्ष पति डोभाल, पूर्व फॉरेस्ट चीफ जयराज प्रो आर सी डंगवाल, उत्तराखंड इंडस्ट्री एसोसिएशन के पंकज गुप्ता अनिल गोयल डॉ आशीष कुमार डॉक्टर चेतना आरजे काव्या पृथ्वीराज सिंह चौहान पोखरियाल डॉ सविता तिवारी कर्नाटक, डॉ चारू द्विवेदी डॉक्टर त्रिपाठी डॉक्टर संध्या जोशी अशोक विंडलास डॉ मधु बिष्ट एवं डॉ राजेश भट्ट उपस्थित रहे।