मणिपुर : राज्य में दूसरी बार सरकार बनाने की तैयारी में भाजपा

एन.बीरेन सिंह ने राज्य में भगवा पार्टी को किया स्थापित

अनिरुद्ध यादव

गुवाहाटी। हाल ही में पांच राज्यों में संपन्न विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)चार राज्यों में सत्ता हासिल करने में कामयाब रही,उनमें मणिपुर भी एक है। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले तक माना जाता था कि मणिपुर में कांग्रेस अजेय गढ़ है।

कारण कि उस समय मणिपुर में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इबोबी सिंह के कद का कोई नेता नहीं था। भाजपा के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं था,उस समय प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की पहचान बहुत हद तक सीमित थी,उनकी गिनती प्रदेश के बड़े नेताओं में नहीं होती थी, परंतु एन. बीरेन सिंह के भाजपा में आते ही पार्टी का रुप-रेखा बदल गई और पार्टी कांग्रेस से कम सीट हासिल करने के बावजूद भी तोड़-जोड़ कर सरकार बनाने में कामयाब रही, पंरतु इस बार 2022 में भाजपा अपने बल पर बहुमत हासिल करने में कामयाब रही और भाजपा प्रदेश में दूसरी बार सरकार बनाने में लग गई है।

बताते चलें कि 2017 में मणिपुर में भाजपा सरकार के गठन में नार्थइस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (नेडा)के संयोजक और वर्तमान में असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा की अहम भूमिका थी और आज भी पूर्वोत्तर के राज्यों में भाजपा की सरकारें बनवाने और किसी भी राजनीतिक दबाव पेंच से बचाने में उनकी अहम भूमिका है।

उल्लेखनीय है कि 2017 में कांग्रेस की 28 सीटों के मुकाबले महज 21 सीटें जीतने वाली भजापा ने प्रदेश में गठबंधन के सहारे सरकार बना ली और पांच साल शासन करने के बाद अब पूर्ण बहुमत के साथ वापसी की है।

मणिपुर में सत्तारूढ़ भाजपा राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा में पूर्ण बहुमत हासिल कर कांग्रेस के बाद ऐसा करने वाली दूसरी पार्टी बन गई है। दरअसल कांग्रेस ने 2012 में 42 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया था, लेकिन अब इस रिकार्ड को भाजपा ने तोड़ दिया है। भाजपा ने इस बार के चुनाव में 32 सीटों पर जीत दर्ज की,जबकि कांग्रेस को महज पांच सीटों पर ही जीत हासिल हुई है।

इस लिहाज से जनता दल (यूनाइटेड) ने राज्य में अच्छा प्रदर्शन करते हुए छह सीटें जीती है। वहीं मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा की अध्यक्षता वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने 7 सीटों पर जीत हासिल की और नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) को पांच सीटें मिली हैं। तीन सीटें निर्दलीय को और दो सीटों पर कुकी पीपुल्स अलाएंस को जीत मिली है।

मणिपुर में अगर बीजेपी की एंट्री और पार्टी की शुरूआती राजनीति पर गौर करें तो 2012 के चुनाव में भगवा पार्टी का एक भी विधायक नहीं था लेकिन 2017 में कांग्रेस की 28 सीटों के मुकाबले महज 21 सीटें जीतने वाली बीजेपी ने प्रदेश में गठबंधन के सहारे सरकार बना ली और पांच साल शासन करने के बाद अब पूर्ण बहुमत के साथ वापसी की है।

वहीं मणिपुर विधानसभा चुनाव में छह सीटें जीतने वाले जनता दल (यूनाइटेड) ने सरकार गठन के लिए भाजपा को अपना समर्थन दिया। हालांकि चुनाव में भाजपा ने बहुमत के लिए जरूरी सीट हासिल की है और वह सरकार गठन की तैयारी में जुटी हुई है। जद(यू) ने एक बयान में कहा कि मणिपुर की जनता के हित में जद (यू) ने सरकार के गठन के लिए भाजपा को समर्थन देने का फैसला किया है।

बयान में कहा गया है कि जद (यू) भाजपा से पार्टी को मिले जनादेश का सम्मान करने और लोगों की आशाओं व आकांक्षाओं को पूरा करने की अपील करती है। पार्टी ने कहा कि छह नवनिर्वाचित विधायकों ने के. जयकिशन सिंह को अपना नेता चुना है। वहीं दूसरी ओर बीजेपी कार्यकतार्ओं में काफी जोश दिखाई दे रहा है।

पत्रकार से नेता बने मुख्यमंत्री नोंगथोम्बम बीरेन सिंह राजनीति में कदम रखने के ठीक 20 साल बाद बीजेपी की अगुवाई में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रहे हैं। वह फुटबॉल खिलाड़ी भी रहे हैं। पिछले पांच साल के कार्यकाल में उग्रवाद प्रभावित मणिपुर में शांति लाने के साथ ही पर्वतीय क्षेत्र एवं घाटी के लोगों के बीच की दरार को कम करने का श्रेय एन बीरेन सिंह को जाता है।

विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी शानदार प्रदर्शन करते हुए पूर्ण बहुमत हासिल की है,जिसके बाद मुख्यमंत्री काफी उत्साहित नजर आए। राजधानी इंफाल में उन्होंने पार्टी के नेताओं के साथ मिलकर डांस किया और अपनी खुशी का इजहार किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मैं मणिपुर के लोगों को धन्यवाद देता हूं। हम पीएम मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा के मार्गदर्शन की बदौलत ही मणिपुर में जीत हासिल कर पाए, इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं।

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गोवा में भी पार्टी की जीत प्रधानमंत्री मोदी के सबका साथ सबका विकास मंत्र को दशार्ती है। पत्रकारिता के बाद एन बीरेन सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत वर्ष 2002 में डेमोक्रेटिक रिवॉल्यूशनरी पीपुल्स पार्टी से की। बीरेन सिंह राज्य की हेनगांग विधानसभा सीट से तब विधायक चुने गए थे। पहला चुनाव जीतने के बाद सिंह वर्ष 2003 में कांग्रेस में शामिल हो गए और तत्कालीन मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में सतर्कता राज्य मंत्री रहे।

वह लगातार इबोबी सिंह के विश्वासपात्र बने रहे और वर्ष 2007 में अपनी सीट से दोबारा चुनाव जीतने के बाद उन्हें सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण, युवा मामले एवं खेल और उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया। सिंह ने वर्ष 2012 के चुनाव में भी लगातार तीसरी बार अपनी सीट पर कब्जा बरकरार रखा। हालांकि,इबोबी सिंह से मतभेदों के बाद उन्होंने इबोबी के खिलाफ बगावत कर दी।

वर्ष 2016 में बीरेन सिंह ने बीजेपी में शामिल होने के लिए मणिपुर विधानसभा की सदस्यता के साथ कांग्रेस की मणिपुर इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। बीजेपी ने उन्हें प्रदेश पार्टी प्रवक्ता और चुनाव प्रबंधन समिति का सह-समन्वयक बनाया।

वह बीजेपी के टिकट पर वर्ष 2017 में चौथी बार हेनगांग सीट से चुनाव जीते, जिसके बाद उनका मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया। पिछले मणिपुर विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने केवल 21 सीट पर जीत हासिल की थी। हालांकि, बीजेपी ने कांग्रेस विधायकों को अपने पाले में किया और 15 मार्च 2017 को एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में राज्य में पहली बार बीजेपी ने सरकार बनाई।

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