विधानसभा पहुंचने वाले 27 फीसद माननीयों पर दाग

देहरादून । नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लिहाजा अगले पांच साल सत्ता की कमान भी भाजपा के पास ही रहने वाली है। आईए, अब जानते हैं विधानसभा पहुंचने वाले माननीयों की आपराधिक, वित्तीय, शैक्षिक व अन्य प्रकार की पृष्ठभूमि।

उत्तराखंड इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफाम्र्स द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक विस चुनाव जीतने वाले 70 में से 19 यानी 27 प्रतिशत उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।इनमें दस के ऊपर गंभीर प्रकार के आपराधिक मामले दर्ज हैं। उन्होंने नामांकन के दौरान संबंधित रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष दाखिल शपथपत्र में इसका जिक्र किया हुआ है।

वर्ष 2017 में चौथी विस के लिए हुए चुनाव में भी 7 में से 22 ऐसे प्रत्याशी विधानसभा पहुंचने में सफल हुए थे जिन पर आपराधिक मामले दर्ज थे। यदि दलवार बात करें तो भाजपा के 47 में से आठ यानी 17 प्रतिशत विजेता प्रत्याशियों पर अलग-अलग प्रकार के अपराध के मामले दर्ज हैं।

जबकि कांग्रेस के 19 में से आठ (42प्रतिशत), बसपा के दो में से एक पर और दोनों निर्दलीयों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें दस माननीयों पर गंभीर प्रकार के अपराध के मामले भी दर्ज हैं। एडीआर के कोर्डिनेटर मनोज ध्यानी कहते हैं कि माननीयों से जुड़े इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि राजनीतिक दलों की चुनाव प्रणाली में सुधार करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं है।

वह भी तब जबकि उच्चतम न्यायालय भी पूर्व में आपराधिक प्रवृत्ति वालों को चुनाव नहीं लड़ाने की बात कह चुका है। पर सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने के लिए दलों की सियासत चाहे कुछ भी करना हो जैसी है। कहा जा सकता है कि लोकतंत्र में कानून तोडऩे वाले ही जीतने के बाद कानून बनाने वाले विधायक बन जाते हैं।

2017 की अपेक्षा इस बार 10 फीसद अधिक करोड़पति

पिछले विस चुनाव की तुलना में इस बार 10 प्रतिशत अधिक करोड़पति उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि इस बार 70 में से 58 यानी 83 फीसद विजेता उम्मीदवार करोड़पति हैं।

इनके पास करोड़ों की चल-अलच संपत्ति है। जबकि वर्ष 2017 में हुए विस चुनाव में 73 प्रतिशत विधायक करोड़पति थे। पार्टीवार बात करें तो इस बार भाजपा के 47 में से 40 (85 प्रतिशत) विधायक करोड़पति हैं। जबकि कांग्रेस के 19 में से 15 (79 प्रतिशत), बसपा के दो और दोनों निर्दलीय विजेता करोड़पति हैं। 23 विजेता उम्मीदारों की चल-अलच संपत्ति का योग पांच-पांच करोड़ से अधिक है। जबकि 21 की संपत्ति दो से पांच करोड़ के बीच है।
इस बार 35 उम्मीदवार दोबारा जीतकर विधायक बने हैं। इनमें भाजपा व कांग्रेस के उम्मीदवार शामिल हैं। पिछले विस चुनाव में इन विधायकों की औसतन संपत्ति 4.96 करोड़ थी, जो कि पांच साल में 52 फीसद बढक़र 7.56 करोड़ हो गई है। यानी इन विधायकों की औसतन संपत्ति पिछले पांच साल में 2.59 करोड़ बढ़ी है। इसके अलावा इस बार 70 में से आठ (11 प्रतिशत) महिलाएं भी जीतकर विधायक बनी है। पिछले विस चुनाव में पांच महिलाएं चुनाव जीती थी।

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