सलेम की सजा पर केंद्र से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

यी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 1993 के मुम्बई बम विस्फोट मामले के दोषी अबू सलेम के प्रत्यर्पण के लिए तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के पुर्तगाल को दिए गए आश्वासनों पर सीबीआई के विपरीत जवाब के मद्देनज़र केंद्रीय गृह सचिव को मंगलवार को निर्देश दिया कि वह तीन सप्ताह के भीतर केंद्र सरकार का पक्ष एक हलफनामे के जरिये दाखिल करें।

सीबीआई के जवाब से असंतुष्ट न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि पुर्तगाल के अधिकारियों को प्रत्यर्पण के संबंध में दिए गए आश्वासन का पालन नहीं करने के व्यापक परिणाम हो सकते हैं।

इससे अन्य देशों से भगोड़ों के प्रत्यर्पण की मांग करने में समस्या खड़ी हो सकती है। पीठ ने कहा, “केंद्र सरकार को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता और उसके प्रभावों को ध्यान में रखते हुए एक निश्चित मत अख्तियार करना होगा।

सीबीआई ने जवाब में कहा है कि 2002 में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी द्वारा पुर्तगाल को दिए गए उस आश्वासन को एक भारतीय अदालत ( टाडा अदालत) मानने को बाध्य नहीं है, जिसमें कहा गया है कि सलेम को न तो फांसी दी जाएगी और न ही भारत में प्रत्यर्पण के बाद उसे 25 साल से अधिक की कैद की सजा दी जाएगी।

शीर्ष अदालत ने दो फरवरी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को अपना जवाब चार सप्ताह के भीतर हलफनामे के जरिए दाखिल करने को कहा था। अदालत ने यह बताने को कहा था कि गैंगस्टर अबू सलेम के के प्रत्यर्पण के समय भारत द्वारा पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन का उल्लंघन तो नहीं हुआ। पीठ के समक्ष सलेम के वकील ऋषि मल्होत्रा ने कहा था कि आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (टाडा) अदालत का उसके मुवक्किल को आजीवन कारावास की सजा देने का फैसला उसके प्रत्यर्पण के समय पुर्तगाल को भारत द्वारा दिए गए आश्वासन के विपरीत है।

टाडा अदालत ने हालांकि, अपना फैसला सुनाते समय यह साफ कर दिया था कि वह सरकार के आश्वासनों को मानने के लिए बाध्य नहीं है। टाडा अदालत के इस फैसले के संदर्भ में  मल्होत्रा ने पीठ के समक्ष दलील दी थी कि शीर्ष अदालत के पास अतिरिक्त शक्तियां हैं तथा वह याचिकाकर्ता की अर्जी पर विचार कर सकती है। सर्वोच्च अदालत के समक्ष श्री मल्होत्रा ने दलील देते हुए कहा था कि सलेम को 2002 में पुर्तगाल में हिरासत में लिया गया था।

उसकी सजा उस तारीख से मानी जानी चाहिए, न कि 2005 में उसे भारतीय अधिकारियों को सौंपने के समय से। पीठ ने  मल्होत्रा की दलीलों पर पिछली सुनवाई के दौरान भी केंद्र से पूछा था कि क्या सलेम से संबंधित सुझाव उचित हैं, केंद्र सरकार इस संबंध में चार सप्ताह में एक हलफनामा दाखिल कर अपना पक्ष रखे।

अबू सलेम उर्फ अब्दुल कय्यूम अंसारी और उसकी महिला मित्र मोनिका बेदी को 18 सितंबर 2002 को पुर्तगाल द्वारा गिरफ्तार किया गया तथा भारत द्वारा 2005 में प्रत्यर्पित कर यहां लाया गया था। सलेम को बॉम्बे में सिलसिलेवार बम विस्फोटों के अलावा प्रदीप जैन हत्या और अजीत दीवानी की हत्या के मामले में प्रत्यर्पण की अनुमति दी गई थी। शीर्ष अदालत इस मामले में अगली सुनवाई 12 अप्रैल को करेगी।

Leave a Reply