नयी दिल्ली। देश में इंस्ट्राग्राम, व्हाट्सऐप, फेसबुक टिकटॉक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया पर ई. सिगरेट का प्रचार हो रहा है और युवा इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम्स और हीटेड टोबैको उत्पादों का प्रयोग कर रहे हैं।
फरवरी 2022 में किये एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में यह कहा गया है कि 26 प्रतिशत लोगों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी-न-किसी रूप में इन उत्पादों का विपणन देखा है। इनमें से करीब 60 प्रतिशत ने इंस्टाग्राम विज्ञापन देखा। इसके जिनके बाद व्हाट्सऐप पर 22.6 प्रतिशत, फेसबुक पर 17.3 प्रतिशत, टिकटॉक पर 14.3 प्रतिशत और ट्विटर पर 6.8 प्रतिशत का स्थान है।
ये उत्पाद नुकसान न्यूनीकरण (हार्म रिडक्शन) उत्पादों के रूप में, विशेषकर युवाओं के बीच सोशल मीडिया और वेब पोर्टलों के जरिये बेचे और प्रचारित किये जा रहे हैं। यह सर्वेक्षण कैंपेन फॉर टोबैको-फ्री किड्स ने चेयर आन कंज्यूमर लॉ एंड प्रेक्टिस, नेशनल लॉ स्कूल इंडिया यूनिवर्सिटी ने किया गया है।
इस सर्वेक्षण का उद्देश्य भारत में सितम्बर 2019 में ई-सिगरेट, हीटेड तम्बाकू उत्पाद (एचटीएन) और अन्य इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम्स (ईएनडीएस) पर पाबंदी लगने के बाद से इनके प्रयोग, सुलभता, और मार्केंटिंग का आकलन करना था।
सर्वेक्षण के अनुसार इसमें 18 से 35 वर्ष आयु के बीच के कुल 4,049 युवाओं को शामिल किया गया। इसमें से 94 प्रतिशत लोगों ने ई-सिगरेट या अन्य ईएनडीएस का प्रयोग कभी नहीं किया है। केवल चार प्रतिशत ने प्रतिबन्ध लागू होने के बाद ई-सिगरेट और अन्य ईएनडीएस का प्रयोग करते रहने की बात कही।
सर्वेक्षण के अनुसार इन उत्पादों की सुलभता के मामले में सबसे प्रमुख राज्य के रूप में कर्नाटक 38.1 प्रतिशत पर है। इसके बाद महाराष्ट्र 12.4 प्रतिशत, तमिलनाडु 9.3 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश 6.7 प्रतिशत और केरल 6.5 प्रतिशत है। ई-सिगरेट खरीदने का प्रमुख स्रोत पान की दुकान या भारतीय आनलाइन खुदरा विक्रेता हैं, जबकि देश में इन उत्पादों पर प्रतिबन्ध लागू है। सितंबर 2019 में केंद्र सरकार ने युवाओं पर ई-सिगरेट के स्वास्थ्य सम्बन्धी खतरों का हवाला देते हुए इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम्स (ईएनडीएस) पर पूर्ण पाबंदी की घोषणा की थी।
गौरतलब है कि ईएनडीएस को इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट या ई-सिगरेट के प्रचलित नाम से जाना जाता है। प्रतिबंध में ई-सिगरेट के उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय (आनलाइन बिक्री सहित), वितरण या विज्ञापन (आनलाइन विज्ञापन सहित) पर पूरी पाबंदी शामिल हैं। भारत में तम्बाकू का प्रयोग करने वालों की संख्या विश्व में दूसरे नंबर है। भारत में कैंसर के सभी मामलों में से 27 प्रतिशत मामले तम्बाकू के प्रयोग के कारण होते हैं।