युद्धग्रस्त यूक्रेन से घर लौटी प्रेरणा के पिता ने कहा, भारतीय प्रबंधन को 100 में से 100 से अधिक अंक

इतनी अच्छी तरह कभी सामान्य परिस्थितियों में भी नहीं आई थी बेटी

बेटी ने बताया किस तरह भारतीय प्रबंधों से भारत लौटीं

नैनीताल। युद्धग्रस्त यूक्रेन से बच्चों के भारत लौटने पर जमकर राजनीति भी हो रही है। सत्तापक्ष जहां अपने प्रयासों के लिए अपनी पीठ ठोक रहा है, वहीं विपक्ष कुछ बच्चों के वीडियो के माध्यम से सरकार के प्रबंधों की आलोचना कर रहा है।

लेकिन मंगलवार सुबह नैनीताल अपने घर लौटी प्रेरणा बिष्ट ने यूक्रेन के हालातों और वहां से घर लौटने तक की पूरी सच्चाई बताई, और उनके पिता ने भी पूरे अनुभव को साझा किया।
प्रेरणा ने बताया के यूक्रेन में रूसी हमले शुरू हो जाने के बाद हालात बेहद खराब हो गए थे। इस पर तत्काल ही इवानो स्थित कॉलेज के सभी बच्चों को वहां पहले से काफी संख्या बने अंडरग्राउंड बंकरों में से एक में ठहरा दिया गया। इन बंकरों में खाने-पीने से लेकर शौचालय आदि की व्यवस्थाएं होती हैं।

लेकिन अपने घर से बाहर बहुतों की भीड़ में रहने की जो समस्याएं होती हैं वह तो हो ही रही थी। साथ में युद्ध के अपने खतरे और भय भी बना हुआ था।
मौका मिलने पर प्रेरणा और उनके साथी बस में भारतीय तिरंगा लगाकर रोमानिया की सीमा के लिए निकले, तो रास्ते में कोई समस्या नहीं आई।

लेकिन सीमा पर पहुंचने से करीब 11 किलोमीटर पहले ही वाहनों की भीड़-जाम लग जाने से सीमा तक 11 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। यूक्रेन की सीमा पर एक छोटे से गेट से केवल भारतीय छात्र-छात्राओं और यूक्रेन के निवासियों को भी करीब 20-20 के समूह में रोमानिया में प्रवेश कराया जा रहा था, और भीड़ अत्यधिक थी। इस कारण कई घंटों तक लाइन में लगना पड़ा।

वहां यूक्रेन की पुलिस कई बार लाइन लगवाने के लिए धक्के मार रही थी, जबकि नाइजीरिया के लंबे लडक़े लाइनों से हटाये जाने के कारण भारतीय छात्र-छात्राओं से झगड़ और मारपीट कर रहे थे।
लेकिन जैसे ही यूक्रेन की सीमा से रोमानिया में प्रवेश किया, वैसे ही सारी समस्याएं समाप्त हो गईं। वहां भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने बहुत अच्छी व्यवस्थाएं की हुई हैं। वे हवाई जहाज के आने तक इंतजार से लेकर जहाज में बैठाने तक की हर व्यवस्था को बहुत अच्छे से निभा रहे हैं। दिल्ली पहुंचने पर उत्तराखंड की हेल्प डेस्क उन्हें फूलों के गुलदस्ते भेंटकर रिसीव कर रहे हैं।
प्रेरणा के पिता प्रेम सिंह बिष्ट ने बताया कि वह बेटी को लेने अपनी कार से दिल्ली गए थे, और उन्हें पहुंचने में थोड़ी देर हो गई थी, लेकिन उत्तराखंड के अधिकारी उनकी बेटी को संभाले हुए थे और उनके पहुंचने पर उन्होंने यह भी पूछा कि यदि उनके पास प्रबंध नहीं है तो वह उसे नैनीताल पहुंचाने का प्रबंध भी कर सकते हैं।

ऐसे प्रबंधों से खुश बिष्ट ने कहा कि वह सरकार के प्रबंधों को 100 में से 100 से भी अधिक अंक देंगे। इतने अच्छे प्रबंधों से कभी उनकी बेटी सामान्य परिस्थितियों में भी यूक्रेन से वापस नहीं आई थी।
इधर, बताया गया है कि पूर्व विधायक डॉ. नारायण सिंह जंतवाल की पुत्री उर्वशी जंतवाल भी नई दिल्ली पहुंच गई है और वहीं अपनी बहन के पास रुक गई है। जबकि नैनीताल के एक छात्र राहुल रावत भी रोमानिया पहुंच गए हैं और आज शाम या कल सुबह तक भारत पहुंच जाएंगे।

जबकि अब नगर की एकमात्र छात्रा आयुषी जोशी यूक्रेन के युद्ध से राजधानी कीव के बाद सर्वाधिक प्रभावित खारकीव शहर में होने की वजह से अभी यूक्रेन में ही फंसी हुई है, परंतु सुरक्षित है।

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