नयी दिल्ली । अंतरिक्ष में अक्षम उपग्रहों की गतिविधि कर चीन अंतरिक्ष में हथियारों की होड से जुड़े नये खतरे पैदा कर रहा है। एयर चीफ मार्शल चौधरी ने सेंटर फॉर एयर पॉवर स्टडीज में जंबो मजूमदार अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार ‘एयरोस्पेस पॉवर में भविष्य की चुनौती’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि यह क्षेत्र अब तक अपेक्षाकृत शांत था लेकिन अब इसमें भी खतरा पैदा हो गया है।
आधुनिक युद्ध की चुनौतियों के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर तथा उससे तालमेल बनाये रखने की है। एक ई मेल या पीडीएफ फाइल में पूरे डाटाबेस को साफ करने की क्षमता है जिससे अफरातफरी और असमंजस की स्थिति पैदा हो सकती है।
उन्होंने कहा कि पिछले 120 वर्षों में एयर पॉवर के क्षेत्र में जितनी तेजी से बदलाव हुआ है वह और किसी क्षेत्र में नहीं हुआ। महत्वपूर्ण सूचना प्रचार ढांचे को निशाना बनाये जाने और सेवाओं में बाधा डालने से युद्धों का स्वरूप बदल गया है।
उन्होंने कहा कि जमीन, समुद्र और हवा में परंपरागत युद्ध हमेशा की तरह रहेंगे लेकिन परंपरागत क्षमता को गैर परंपरागत और हाइब्रिड तरीके से रोकने के खतरे से निपटना जरूरी है।
वायु सेना प्रमुख ने कहा कि सिद्धांतों का समसामयिक होना जरूरी है क्योंकि यदि मौलिक मार्गदर्शक सिद्धांत आधुनिक हैं तो हमारी लड़ाई की क्षमता भी जोरदार होगी। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के तरीके भी आधुनिक , लचीले तथा अनुकूल होने के साथ साथ एकीकृत तथा समावेशी होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि बेहतर तालमेल और नियंत्रण के लिए सेना, नौसेना और वायु सेना को एक साझा नेटवर्क पर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में मानवीय और गैर मानवीय युद्ध प्रणालियों के बीच टीमवर्क की बहुत अधिक जरूरत है।