नई दिल्ली । अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट में आखिरकार 13 साल बाद इंसाफ मिला। अब तक के इतिहास की सबसे बड़ी सजा है। अहमदाबाद में हुए सीरियल ब्लास्ट मामले पर अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए 38 आरोपियों को फांसी सहित 11 को उम्र कैद की सजा सुनाई है। 26 जुलाई 2008 को गुजरात के अहमदाबाद शहर में सीरियल ब्लास्ट हुआ था। उस ब्लास्ट में 54 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायलों हो गए थे।
विशेष जज ए आर पटेल की अदालत ने गत आठ फरवरी को इस मामले के कुल 79 में 49 आरोपियों को दोषी करार दिया था और अन्य 28 को बरी कर दिया था। एक अन्य की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है। अदालत ने इस मामले में सजा सुनने के दौरान 49 दोषसिद्ध आरोपियों में से 48 पर दो लाख 85 हजार रुपए (प्रत्येक) का जुर्माना भी लगाया।
अदालत ने इस घटना के सभी 56 मृतकों के लिए एक-एक लाख रुपए, 240 घायलों में से गम्भीर के लिए 50-50 हजार और हल्के के लिए 25-25 हजार के मुआवजे का भी प्रावधान किया। ज्ञातव्य है कि यहां सिविल अस्पताल और एलजी अस्पताल समेत 23 भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर उस दिन शाम साढ़े छह बजे से पौने आठ बजे के बीच धमाके हुए थे जिनमे 56 लोगों की मौत हुई थी और 240 लोग घायल हुए थे।
इसके बाद उसी साल 28 से 31 जुलाई के बीच सूरत शहर से 29 वैसे ही बम बरामद हुए थे जैसे अहमदाबाद के धमाकों में इस्तेमाल किए गए थे। गुजरात पुलिस की जांच के बाद इस मामले में 15 अगस्त 2008 को पहले 11 लोगों को पकड़ा गया। बाद में अन्य अभियुक्तों की भी गिरफ्तारी हुई थी। जांच के दौरान पता लगा कि इन धमाकों के पीछे पाकिस्तानी ख़ुफिया एजेंसी आइएसआइ, अंडर्वर्ल्ड और प्रतिबंधित संगठन सिमी से परिवर्तित हुए इंडियन मुजाहिदीन और अन्य आतंकी संगठनों का हाथ था। इन लोगों ने कथित तौर पर 2002 के गुजरात दंगों का बदला लेने के लिए इस घटना को अंजाम दिया था। जांच में यह भी पता चला था कि इस घटना के लिए मई में अहमदाबाद के निकट वटवा इलाके में षड्यंत्र रचा गया था।