…तो क्या टूट पाएंगे बदरीनाथ सीट के मिथक

गोपेश्वर। चमोली जिले की बदरीनाथ विधान सभा सीट का अब तक मिजाज रहा है कि जिस भी दल का विधायक इस सीट से निर्वाचित हुआ उसकी ही प्रदेश में सरकार बनी है। इसके अलावा कोई भी मौजूदा विधायक अभी तक के चुनाव में सीट पर रिपीट नहीं कर पाया है। अब जबकि 2022 के विधान सभा चुनाव के लिए मतदान निपट गया है तो यह चर्चा हर तरफ होने लगी है कि बदरीनाथ सीट के मिथक क्या इस बार टूट पाएंगे।

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद 2002 का पहला विधान सभा चुनाव हुआ तो कांग्रेस के डा अनुसूया प्रसाद मैखुरी विधायक पद पर निर्वाचित हुए। यह तो अजब गजब का ही संयोग रहा कि राज्य में भी कांग्रेस की सरकार ही बनी। हालांकि मैखुरी के मुकाबले भाजपा के उम्मीदवार तत्कालीन काबीना मंत्री केदार सिंह फोनिया पराजित हो गए थे। 2007 के विधान सभा चुनाव में बदरीनाथ सीट पर भाजपा ने केदार सिंह फोनिया को ही उम्मीदवार बनाया तो कांग्रेस ने भी डा मैखुरी पर ही दांव खेला।

इस चुनाव में फोनिया निर्वाचित हुए और राज्य में भी भाजपा की ही सरकार बनी। डा मैखुरी को पराजय का सामना करना पड़ा। इस तरह डा मैखुरी इस सीट को दोबारा रिपीट नहीं कर पाए। 2012 के चुनाव में टिकट न मिलने पर तत्कालीन भाजपा विधायक केदार सिंह फोनिया ने विद्रोह का बिगुल फूंक दिया।

भाजपा ने तब तत्कालीन गोपेश्वर के पालिकाध्यक्ष प्रेम बल्लभ भट्ट पर दांव चला। कांग्रेस ने तत्कालीन काबीना मंत्री राजेंद्र सिंह भंडारी को मैदान में उतारा। इस चुनाव में कांग्रेस के भंडारी विधायक निर्वाचित हुए और राज्य में भी कांग्रेस की ही सरकार बनी। इस तरह तत्कालीन विधायक केदार सिंह फोनिया सीट को रिपीट नहीं कर पाए।

2017 के विधान सभा चुनाव में भाजपा ने पूर्व विधायक महेंद्र प्रसाद भट्ट पर दांव खेला तो कांग्रेस ने तत्कालीन विधायक व काबीना मंत्री राजेंद्र सिंह भंडारी को ही उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में महेंद्र प्रसाद भट्ट जीत दर्ज करने में सफल रहे और राज्य में भी भाजपा की ही सरकार बनी। इस तत्कालीन विधायक भंडारी सीट को रिपीट नहीं कर पाए।

2022 के महासमर में भाजपा ने विधायक महेंद्र प्रसाद भट्ट पर ही दांव चला है तो कांग्रेस ने भी पूर्व विधायक व काबीना मंत्री राजेंद्र सिंह भंडारी को ही उम्मीदवार बनाया। इस बार बदरीनाथ सीट पर कोई त्रिकोणीय मुकाबला न होने के कारण दोनों प्रत्याशियों में ही सीधा मुकाबला हुआ है। अब जबकि 10 मार्च को विधान सभा चुनाव का परिणाम ईवीएम से निकलेगा तो सबकी नजरें इस बात पर रहेगी कि इस बार यह सीट क्या गुल खिलाती है। यदि मौजूदा भाजपा विधायक महेंद्र प्रसाद भट्ट ही निर्वाचित होते हैं तो क्या राज्य में भाजपा की ही सरकार बनेगी।

यदि कांग्रेस के भंडारी निर्वाचित होते हैं तो राज्य में कांग्रेस की सरकार बनेगी और क्या विधायक भट्ट फिर रिपीट होंगे। इस तरह के दोनों मिथक बदरीनाथ विधान सभा की सियासी फिजाओं में चर्चा का विषय बने हैं। अब देखना यह है कि 1 मार्च को चुनाव परिणाम में क्या कुछ निकल कर आता है। इससे साफ होगा कि क्या इस बार मिथक टूटते हैं अथवा इसी तरह के मिथक बने रहते हैं।

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