नयी दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में सरकार में आते ही हमने शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव किए। हमने सरकारी स्कूलों को विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर और 20 हजार नए क्लास रूम दिए। शिक्षकों को देश एवं विदेश के नामी संस्थानों में भेजकर ट्रेनिंग दिलवाई और स्कूल प्रबंधन समितियों को मजबूत कर अभिभावकों की भागीदारी भी सुनिश्चित की।
हमारे स्कूलों में हैप्पीनेस और माइंडफुलनेस क्लास के जरिए बच्चों के तनाव को दूर किया जाता है। हमने उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए एंटरप्रेन्योरशिप पाठ्यक्रम और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के साथ बिजनेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम शुरू किया। बच्चों को विश्व स्तरीय शिक्षा देने के लिए दिल्ली स्कूल शिक्षा बोर्ड का गठन कर इंटरनेशनल शिक्षा बोर्ड से समझौता किया।
साथ ही बच्चों में देशभक्ति की भावना जागृत करने के लिए देशभक्ति पाठ्यक्रम शुरू किया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने स्कूलों में खेलों को बढ़ावा देने के लिए भी कई बड़े कदम उठाए। हमने स्कूलों में पिछले पांच वर्षों में तीन एस्ट्रो टर्फ, पांच सिंथेटिक ट्रैक्स और 17 स्वीमिंग पूल बनाये हैं, जबकि कई पर काम चल रहा है।
विश्व स्तरीय खिलाड़ी तैयार करने के लिए पहली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी स्थापित करने वाला दिल्ली देश का इकलौता राज्य है। सरकार, खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारने के लिए आर्थिक मदद भी दे रही है। आज दिल्ली के 97 फीसद माता-पिता मानते हैं कि उनके बच्चे की शिक्षा में उनकी भागीदारी बढ़ी है, जबकि 70 फीसद माता-पिता मानते हैं कि स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई का माहौल बदल गया है।
इस बार 12वीं का परिणाम 99.7 फीसद रहा, जो प्राइवेट स्कूलों से कहीं अधिक है। वहीं, 2021 में सरकारी स्कूलों के 64 छात्रों ने जेईई एडवांस और 496 ने नीट क्वालीफाई किया। आज दिल्ली, अपने कुल बजट का 26 फीसद पैसा शिक्षा पर खर्च करने वाला देश का इकलौता राज्य है। स्कूलों में आए बदलाव से प्रभावित होकर इस बार करीब 2.5 लाख बच्चों ने प्राइवेट स्कूलों से नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में एडमिशन लिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘आप’ की सरकार बनने से पहले प्राइमरी हेल्थकेयर का बुरा हाल था, जिसकी वजह से लोगों की जेब पर बोझ पड़ता था
अस्पतालों में दवाइयों की कमी थी,मशीनें खराब थीं। अस्पतालों में भारी भीड़ के साथ डायग्नोसिस और सर्जरी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था। इसलिए हमने शिक्षा के बाद स्वास्थ्य पर फोकस करने का निर्णय लिया, क्योंकि यह हर व्यक्ति के जीवन से जुड़ा मसला था। हमने अपने सभी सरकारी अस्पतालों में दिल्लीवालों का पूरा इलाज मुफ्त कर दिया।