गोपेश्वर। मतदाताओं ने आखिरकार एक लंबी चुप्पी तोड़ते हुए सोमवार को अपनी बंद मुठ्ठी खोल तो दी है किंतु मुठ्ठी खोलने के बाद प्रत्याशियों के भाग्य ईवीएम में सुरक्षित पहुंच गया है। अब 10 मार्च को ही प्रत्याशियों की किस्मत का पिटारा खुलेगा।
चमोली की बदरीनाथ, कर्णप्रयाग तथा थराली विधान सभा सीटों के लिए सोमवार को हुए मतदान में वोटरों ने खासा उत्साह दिखाते हुए तमाम तरह की कयासबाजियों को विराम दिया। इस तरह मतदाताओं ने खुलकर 31 प्रत्याशियों की किस्मत पर अपने समर्थन की मुहर लगा दी है। इस तरह अब प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में सुरक्षित हो गया है। 10 मार्च को ही मतपेटियों से प्रत्याशियों की किश्मत का पिटारा खुलेगा।
जनपद की तीनों सीटों पर भाजपा तथा कांग्रेस के बीच ही असल मुकाबला दिखाई दिया। बदरीनाथ सीट से पूर्व काबिना मंत्री व कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र सिंह भंडारी, भाजपा प्रत्याशी व विधायक महेंद्र प्रसाद भट्ट, विनोद जोशी (सीपीआई), पुष्कर लाल बैछवाल (पीपीआईडी), भगवती प्रसाद मैंदोली (आम आदमी पार्टी), बृजमोहन सजवाण (उक्रांद), मुकेश लाल कोसवाल (बसपा) तथा निर्दलीय प्रत्याशी धीरेंपाल सिंह, सुनील, मुकुंद सिंह व शैलेंद्र प्रकाश सिंह की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है।
थराली विधान सभा सीट से डा जीतराम (कांग्रेस), भूपाल राम टम्टा (भाजपा), गुड्डू लाल (आम आदमी पार्टी), कस्वी लाल (उक्रांद), किशोर कुमार (सपा), लक्ष्मण राम (बसपा), कुंवर राम (सीपीआईएम), नैनी राम (उत्तराखंड जन एकता पार्टी) तथा निर्दलीय गणेश कुमार तथा कर्णप्रयाग विधान सभा सीट से मुकेश नेगी (कांग्रेस), अनिल नौटियाल (भाजपा), उमेश खंडूड़ी (उक्रांद), इेंश मैखुरी (भाकपा माले), सुरेशी देवी (पीपीआईडी), दयाल सिंह बिष्ट (आम आदमी पार्टी), डॉ मुकेश चंद्र पंत (उत्तराखंड जन एकता पार्टी), रंजना रावत (न्याय धर्म सभा) तथा मदनमोहन भंडारी, बलवंत सिंह नेगी व टीका प्रसाद मैखुरी की किस्मत भी ईवीएम में सुरक्षित हो गई है।
यह अलग बात है कि कई राजनीतिक दलों के साथ निर्दलीय प्रत्याशी भी मुकाबले को दिलचस्प दिशा में ला खड़ा कर गए हैं। कोरोना महामारी तथा पिछले कई दिनों से मौसम के बिगड़े मिजाज और चुनाव में आश्चर्यजनक चुप्पी ओढ़े मतदाताओं की खामोशी से लग रहा था कि इस बार मतदान के प्रति भी उत्साह नहीं दिखेगा किंतु जिस तरह मतदाताओं ने मतदान के प्रति उत्साह प्रदर्शित किया उससे लोकतंत्र के प्रति अटूट आस्था भी लोगों में देखने को मिली।
नए बने युवा मतदाताओं से लेकर वृद्धों तक ने मतदान के प्रति जोश दिखाकर अपने मताधिकार का उपयोग तो किया ही अपितु यह भी प्रदर्शित किया कि वे नई सरकार के गठन में कहीं भी पीछे नही हैं। अब जबकि मतदान की प्रक्रिया संपन्न हो गई है तो राजनीतिक विश्लेषक गुणा भाग में लग गए हैं।
वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव में बदरीनाथ सीट पर 61.77 तथा थराली सीट पर 59.08 और कर्णप्रयाग सीट पर 58.6 0प्रतिशत मतदान हुआ था। वर्ष 2012 के विधान सभा चुनाव में भी थराली विधानसभा क्षेत्र में 59.50 प्रतिशत तथा बदरीनाथ में 63.97 प्रतिशत मतदान हुआ था। तब मतदान प्रतिशत बढ़ाने का एक प्रमुख कारण यह भी था कि विधानसभा के चुनाव में तब कई दिग्गज निर्दलीय मैदान में कूद पड़े थे। यहां तक कि तत्कालीन भाजपा के तीनों विधायक टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनावी समर में उतर गए थे।
उन्होने स्वयं तथा समर्थकों के बल पर लोगों को मतदान केंद्र तक लाने के लिए प्रेरित किया था। तब यह मतदान प्रतिशत बढ पाया था। इसके कारण वोटों का सा ध्रुवीकरण हुआ कि तब भी इन सीटों पर तत्कालीन भाजपा को एंटी इनकंबेंसी का भी शिकार होना पडा था।
अब जबकि इस समय मुकाबला सीधे तौर पर कांग्रेस और भाजपा के बीच हो रहा है तो मतदान के प्रति लोगों के बढ़ते उत्साह के राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले जाने लगे हैं। कतिपय राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बेरोजगारी, महंगाई तथा विकास के चलते सत्ता के विरुद्ध लोगों का आक्रोश कारण रहा। इसलिए लोग परिवर्तन के लिए कांग्रेस की ओर गए हैं।
इसके उलट कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों तथा मोदी मैजिक पर मुहर लगाने के लिए ही लोग आगे आए हैं। इसमें सत्ता विरोधी लहर की बात भी झूठ लाई जा रही है। पर, मतदान के प्रति लोगों के उत्साह ने राजनीतिक विश्लेषकों को भी हैरान परेशान कर रख दिया है। अब जबकि 10 मार्च को परिणाम निकलना है तो आज ही से राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता अपने अपने पक्ष में जीत के दावे भी करने लगे हैं।
मतदाताओं ने इस बार आश्चर्यजनक चुप्पी ओढे रखी। इस कारण रुझान एकदम स्पष्ट तो नही हो पाए किंतु अब भाजपा तथा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ ही राजनीतिक विश्लेषक भी हार जीत के आंकड़ों के गणित में उलझने लगे हैं। इसके साथ ही जीत-हार को लेकर दावों-प्रतिदावों का दौर भी शुरू होने लगा है।
इस सबके बीच मतदाताओं ने किसको ताज पहनाया है यह सब 10 मार्च को स्पष्ट हो जाएगा और राजनीतिक दलों के दावों-प्रति दावों की कलई भी खुल जाएगी। इस सबके बावजूद मतदान शांतिपूर्वक संपन्न होने से चुनाव आयोग के साथ ही सभी लोगों ने राहत की सांस भी ली है।