नयी दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने आज चीन का नाम लिये बिना कहा कि कुछ देश कायदे कानूनों तथा व्यवस्था को धत्ता बताते हुए सीमाओं पर यथास्थिति को बदलने जैसी कार्रवाई कर रहे हैं और ये भविष्य के टकरावों के ‘ट्रेलर’ की तरह है।
जनरल नरवणे ने प्रज्ञान कंकलेव को संबोधित करते हुए कहा ,हमने देखा है कि कुछ देश वैश्विक रूप से स्वीकृत कायदे कानूनों और नियम आधारित व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं। यह चुनौती चुपके से किये जाने वाले आक्रमणों , अवसरवादी कार्रवाईयों, यथास्थिति को बदलने और माहौल को युद्ध की सीमा से कुछ नीचे तक ले जाने के रूप में सामने आ रही हैं।
उन्होंने कहा कि हम भविष्य के टकरावों का ‘ट्रेलर’ अभी से देख रहे हैं। ये सूचना रणक्षेत्रों, नेटवर्क और साइबर स्पेस में हर रोज किये जा रहे हैं। हमारी विवादित और सक्रिय सीमाओं पर भी ये हो रहे हैं।
यह हमारे उपर हैं कि हम इन ट्रेलरों के आधार पर भविष्य के इन युद्धक्षेत्रों की आकृतियों की कल्पना करें। यदि आप अपने आस पास देखें तो महसूस होगा कि कल का विज्ञान कल्प आज की हकीकत बन कर सामने आ रहा है। इससे निपटने के लिए हमें भविष्य को ध्यान में रखते हुए लंबी छलांग लगाकर एकदम नये व्यूह विन्यास में जाना होगा।
सेना प्रमुख ने कहा कि दुश्मन राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक क्षेत्र में अपनी ‘ग्रे जोन’ गतिविधियों का इस्तेमाल करते हुए सामरिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रयास जारी रखेगा। वर्ष 2020 की घटनाएं इस बात का प्रमाण है कि सभी क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के सुरक्षा खतरे सामने आये हैं और इससे बिना आमने सामने आये लड़ाई और ‘ग्रे जोन वारफेयर’ पर फोकस बढ गया है।
उन्होंने कहा कि फौज के चरणबद्ध तरीके से इस्तेमाल की अवधारणा में भी बड़ा बदलाव आ रहा है। वह इस बात को दोहरा रहे हैं कि भविष्य के युद्धों में ऐसा भी हो सकता है कि अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों को पहले हमले का पता ही नहीं चले।सेना प्रमुख ने कहा कि हम विभिन्न क्षेत्रों में अनोखी और ठोस चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। परमाणु शक्ति संपन्न पड़ोसियों के साथ विवादित सीमाओं और देशों द्वारा प्रायोजित छद्म युद्ध के कारण हमारे सुरक्षा तंत्र तथा संसाधनों पर दबाव है।
उन्होंने कहा कि हमें युद्ध के डिजिटल युग में आमने-सामने और बिना आमने-सामने की लड़ाई दोनों के लिए क्षमता को बढाने के लिए सुधार करना होगा। सेना अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए पहले ही कई कदम उठा चुकी है और उठा रही है। वायु सेना तथा नौसेना के साथ मिलकर सेना इन चुनौतियों का सामना करने के लिए कई पहल कर रही है और विभिन्न क्षेत्रों में अभियानों को ध्यान में रखकर हम अपनी क्षमताओं को बढा रहे हैं।
जनरल नरवणे ने नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम जारी रहने का जिक्र करते हुए कहा कि यह इसलिए है क्योंकि हमने पूरी ताकत के साथ अपना रूख रखा है। हमारी उत्तरी सीमाओं पर गतिविधियों से भी संप्रभुता और एकता तथा अखंडता को बनाये रखने के लिए फौज की तैनाती, तैयारी तथा क्षमता बढाये जाने की जरूरत को बल मिला है। अफगानिस्तान की स्थिति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसने छद्म और सरकार से इतर तत्वों पर कार्रवाई के महत्व को भी फोकस में ला दिया। ये तत्व स्थानीय परिस्थितियों का फायदा उठाकर फलते फुलते हैं।