मदन का किला ढहाने के लिए ब्रह्मचारी को करनी होगी कड़ी मशक्कत

हरिद्वार। हरिद्वार में नामांकन दाखिल होने के बाद चुनावी तस्वीर लगभग साफ हो गई है। जाहिर है कि इस बार नगर विधानसभा में पारंपरिक रूप से भाजपा और कांग्रेस की ही भीड़त होने जा रही है। इस हालत में ये देखना रोचक होगा कि कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल ब्रह्मचारी चार बार के चैंपियन रह चुके मदन कौशिक के किले को भेद सकते हैं या नहीं। यह भी देखना होगा कि वे अपनी जीत के लिए क्या-क्या पैंतरे आजमाते हैं।
बताते चलें कि पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रह चुके सतपाल ब्रह्मचारी 2012 में एक बार मदन कौशिक से हाथ आजमा चुके हैं। तब उन्हें कौशिक के सामने करीब आठ हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि अब हालात तब से बहुत कुछ अलग हैं। तब डबल इंजन और मोदी मैजिक की हवा थी।

इसके विपरीत अब लॉकडाउन के दुष्परिणाम, ठप्प कारोबार, कुंभ घोटाले जैसे मुद्दे कांग्रेस के काम आएंगे। लेकिन सिर्फ इसके सहारे ही कांग्रेस की नैया पार नहीं लग सकेगी। जीत के लिए ब्रह्मचारी को आने वाले दिनों में संगठन की टूट फूट की मरम्मत करते हुए ऐड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा। और इसके बाद कौशिक के कुशल चुनाव प्रबंधन को भेदने की कला भी सीखनी होगी, जो कांग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
मदन कौशिक 2002 से लगातार विधायक चले आ रहे हैं। इस दौरान धर्मनगरी में उनकी जड़ें काफी गहरी बैठ चुकी हैं। राजनीति और चुनाव लड़ने का लंबा अनुभव उनके साथ है। संगठन पर पकड़ और कार्यकर्ताओं से निरंतर संवाद उनकी ऐसी खूबियां हैं जिनकी बदौलत उन्हें चुनाव में संगठन पर अतिरिक्त मशक्कत नहीं करनी पड़ती।

वह वर्ष भर अपने रक्षा सूत्र , वरिष्ठ नागरिक सम्मान और होली,दिवाली मिलन कार्यक्रमों से भी अपने प्रशंसकों के साथ जुड़े रहते हैं। उनका कुशल चुनाव प्रबंधन ऐसा है कि संगठन भी उसका लोहा मानता है। इन हालात में कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल ब्रह्मचारी को कौशिक की कुर्सी हिलाने के लिए बहुत जोर लगाना होगा।

हरिद्वार में विगत बीस वर्षों में अनेक विकास कार्य हुए हैं। हरिद्वार के विकास से जुड़ी कई योजनाएं अभी प्रस्तावित हैं। कांग्रेस के पास कोई विजन नहीं है। हरिद्वार की जनता जनार्दन के आशीर्वाद से इस बार भी विजयी होंगे।
– मदन कौशिक

हरिद्वार में पिछले बीस सालों में सिर्फ चरस, शराब, स्मैक, गांजे के कारोबार का विकास हुआ। अटल विद्यालय योजना का एक अदद स्कूल भी विधायक हरिद्वार को नहीं दिलवा सके। जनता अब बदलाव चाहती है।

सतपाल ब्रह्मचारी

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