रुद्रप्रयाग। विधानसभा में राष्ट्रीय दलों से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों ने बगावत शुरू कर दी है। भाजपा से टिकट न मिलने के कारण वीर सिंह रावत ने बगावत कर निर्दलीय चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया है। वहीं टिकट न मिलने से नाराज कांग्रेस के एक धड़े ने पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी को चुनाव लड़ाने का विचार बना रही है। वहीं राष्ट्रीय दलों के अंदर बगावती तेवर उठने से इसका लाभ उत्तराखंड क्रांति दल को मिलता दिखाई दे रहा है।
रुद्रप्रयाग विधानसभा में भाजपा-कांग्रेस के बीच घमासान मचना शुरू हो गया है। कांग्रेस से वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा, पूर्व प्रत्याशी बीरेंद्र बुटोला, ठाकुर गजेंद्र पवार, अंकुर रौथाण खुलकर कांग्रेस प्रत्याशी के विरोध में आ गए हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ऐसे प्रत्याशी को टिकट दिया है जिन्होंने 217 में कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था। इसकी कीमत कांग्रेस प्रत्याशी को हार के रूप में चुकानी पड़ी। उन्होंने कहा कि हाईकमान ने टिकट वितरण करने में जनता की भावनाओं को नहीं देखा। ऐसे में कांग्रेस कमजोर हो गई है।
कांग्रेस ने अपना फैसला नहीं बदला तो पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी को निर्दलीय चुनाव लड़ाया जाएगा। वहीं भाजपा से टिकट न मिलने के कारण वरिष्ठ नेता वीर सिंह रावत बगावत पर उतर आए हैं। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लडऩे की हुंकार भर दी है। बहरहाल,भाजपा और कांग्रेस से जिस तरह बगावत के स्वर मुखर हो रहे हैं, उससे दोनों राष्ट्रीय दलों को नुकसान होने की पूरी संभावना दिखाई दे रही है।
ऐसे में इसका सीधे-सीधे फायदा उत्तराखंड क्रांति दल को मिलता दिखाई दे रहा है। यहां से चुनाव लड़ रहे युवा नेता मोहित डिमरी के साथ पूरा संगठन कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है। जिस तरह से उत्तराखंड क्रान्ति दल के प्रति जनता में उत्साह बना हुआ है, उससे इस बार बदलाव के पूरे आसार नजर आ रहे हैं।